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Russia: भारत ने अपनी तेल कंपनियों से कह दिया है कि वो रूस से ज्यादा मात्रा में कच्चे तेल की खरीदारी करें. तेल कंपनियों को बताया गया है कि वो रूसी तेल पर मिल रहे भारी डिस्काउंट (Discount) का जल्द लाभ उठाएं. बीते कुछ महीनों में ही रूस से भारत के तेल खरीद में 25 गुना की बढ़ोतरी देखी गई है. इस से रूसी राजस्व को लाभ भी हुआ है.
एक तरफ जहां यूक्रेन पर हमले को लेकर पश्चिमी देश रूस पर अपने प्रतिबंधों को बढ़ा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ भारत भी रूस से अपने व्यापारिक संबंधों को आए दिन बढ़ाता ही जा रहा है. भारतीय तेल उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक, भारत सरकार ने देश की तेल कंपनियों को कहा है कि वो सस्ते रूसी तेल को भारी मात्रा में खरीदें.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, तेल उद्योग के अधिकारियों का बताना है कि हाल ही के हफ्तों में सरकारी अधिकारियों ने उन्हें रूस से तेल की खरीद को जारी रखने और रूसी तेल में छूट का जायदा लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया है. एक अधिकारी के मुताबिक, सरकारी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन रूस की दिग्गज ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट ऑयल के साथ ही आपूर्ति बढ़ाने को लेकर कई कॉन्ट्रैक्ट (Contract) पर बातचीत भी कर रही है.
हालांकि भारत सरकार के एक अधिकारी ने ये कहा है कि सरकार कंपनियों को रूसी तेल खरीदने का निर्देश नहीं दे रही है. उन्होंने यह भी बताया कि रूसी कच्चा तेल प्रतिबंधों के अधीन नहीं है और कई देशों ने इसे खरीदना भी जारी रखा है.
Russia तेल और गैस के सबसे बड़े खरीददार पश्चिमी देश हैं. रूसी तेल और गैस पर लगभग सभी यूरोपीय देशों की निर्भरता भी रही है मगर यूक्रेन पर हमले के बाद इन देशों ने रूसी तेल और गैस खरीद को चरणबद्ध तरीके से कम भी कर दिया है. इस कारण से रूसी तेल और गैस को काफी नुकसान झेलना पड़ा है.
मगर इसी बीच भारत ने रूसी तेल की खरीद को और बढ़ा दिया है. अगर इसी तरह भारत रूस से अधिक मात्रा में तेल खरीद बढ़ाता रहता है तो रूसी तेल और गैस पश्चिमी प्रतिबंधों से बहुत कम प्रभावित होगा. भारत के साथ ही चीन और तुर्की भी रूसी तेल के प्रमुख खरीददार बनकर सामने आ रहे हैं जिससे वजह से रूस को काफी अच्छा फायदा भी हो रहा है. लेकिन इसके बाद भी रूस का ऊर्जा निर्यात युद्ध के बाद से कुछ कम हुआ है.
Kpler के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने युद्ध की शुरुआत के बाद से रूसी तेल खरीद में 25 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी की है. फरवरी महीने में जहां भारत एक दिन में 30 हजार बैरल कच्चे तेल खरीदता था वहीं इसके बाद जून के महीने में ये बढ़कर एक दिन में औसतन 10 लाख बैरल हो गया है.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक, ये मात्रा यूरोप के रूसी कच्चे तेल और कच्चे उत्पादों के आयात के एक चौथाई से भी अधिक के बराबर है.
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यूक्रेन पर Russia के हमले के बाद रूसी कच्चे तेल की कीमत में काफी भारी गिरावट आ गई. रूस के कच्चे तेल, जिसे यूराल के नाम से भी जाना जाता है इसकी मांग बहुत अधिक थी लेकिन युद्ध होने के बाद से ये ब्रेंट बेंचमार्क से 37 डॉलर से नीचे पर आ गया. विश्लेषकों का बताना है कि अब इसकी कीमतों में सुधार आ रहा है.
इसके साथ इधर, रियायती दरों पर रूसी तेल खरीद से भारत को भी बहुत ज्यादा फायदा हुआ है. पूरे विश्व में तेल की कीमतों से परेशान देशों में भारत भी शामिल है लेकिन रूसी तेल की खरीद से उसे काफी राहत मिली है.
भारत रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में तटस्थता की नीति का कर रहा है पालन. ईरान-अमेरिका तनाव के समय भी भारत ने ईरान से तेल की खरीद को जारी रखा था. रूसी तेल पर पश्चिमी देशों के बढ़ रहे प्रतिबंधों के बावजूद भारतीय कंपनियां रूसी तेल की खरीद को बढ़ाती जा रही है और प्रतिबंधों से बचकर तेल खरीद के नए नए उपाय भी तलाश रही है.
यूरोपीय संघ (European union) ने रूसी तेल ले जाने वाले जहाजों के बीमा पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है जो कि दिसंबर में लागू भी होगा. भारत इसको लेकर भी अभी से ही कोई समाधान ढूंढने में लग गया है जिससे रूस के साथ भारत के बढ़ते तेल व्यापार पर रोक न लगे.