Russia: किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए मुक्त व्यापार का होना बहुत जरूरी है । माल के आयात और निर्यात के लिए एक ऐसे रास्ते का भी होना उतना ही जरूरी है । अन्य देशों से व्यापार करने के लिए माल ढुलाई हेतु एक सुगम कॉरिडोर का होना जरूरी है जिससे न सिर्फ समय की बचत हो , माल का आयात और निर्यात तेजी से हो बल्कि माल ढुलाई में लागत भी कम आये । इसी बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है ।
कई सालों से भारत को दक्षिण एशिया से जोड़ने वाली सड़क पर काम चल रहा था जिसपर अब सफल परीक्षण हुआ है । यह रूट इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर( INSTC) के रूप में जाना जाता है । बता दें कि हाल ही में इस रूट के जरिये ईरानी शिपिंग कम्पनी ने रूस का माल भारत मे पहुंचाया है ।
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अंतराष्ट्रीय उत्तर- दक्षिणी ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के माध्यम से भारत अब सड़क मार्ग से रूस , ईरान सहित 12 देशों से जुड़ गया है जहां से माल ढुलाई अब सीधे रूट के माध्यम से की जा सकेगी । बता दें कि INSTC से भारत का सेंट्रल एशिया से कनेक्शन होने पर भारत के माल ढुलाई के ख़र्च में करीब 30 % कमी आने की सम्भावना है । इसके साथ ही समय की भी बचत होगी । बता दें कि आईएनएसटीसी रूट उन देशों से होकर गुजरता है जिन्होंने ट्रांसपोर्ट इंटरनेशनाक्स( टीआईआर) समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं ।
इन देशों में Russia, ईरान, अजरबैजान, आर्मेनिया , भारत, कजाखिस्तान, बेलारूस, तुर्की, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान ,ओमान , यूक्रेन और सीरिया जैसे देश शामिल हैं । बता दें कि इस रूट का प्रबंधन और प्रशासन इंटरनेशन रोड ट्रांसपोर्ट यूनियन करता है । इस रूट के जरिये मल्टी मॉडल ढुलाई को सुगमता प्रदान होती है ।
ईरान में पिछले दिनों हुई आईएनएसटीसी की बैठक हुई थी जिसके बाद इस रुकी हुई परियोजना को फिर से शुरू करने की सहमति बनी थी । इसी के मद्देनजर कार्गो से ईरानी सरकारी शिपमेंट कम्पनी ने रूस का माल भारत तक इस रूट के माध्यम से पहुंचाया है । ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एक ईरानी अधिकारी ने बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी युद्ध के बीच देशों के आपसी व्यापार में खलल न पड़े इसलिए इस रूट का परीक्षण किया गया है ।
बता दें कि भारत पहुंचे Russia के माल में लकड़ी के लेमनेट शीट से बने दो 40 फुट कंटेनर हैं जिनका वजन तकरीबन 41 टन है । बता दें कि अभी यह जानकारी नहीं मिली है कि लकड़ी के इन कंटेनर के भीतर किस प्रकार का माल है । बता दें कि इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की संकल्पना भारत, रूस और ईरान ने मिलकर सन 2000 में की थी । यह रूट 7200 किलोमीटर लम्बा है ।
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करीब 7200 किलोमीटर लंबे इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के आने से माल ढुलाई में लगने वाले खर्च और समय की बचत होगी । बता दें कि INSTC से पहले माल स्वेज नहर के रास्ते आता था । तब इसकी लम्बाई 16 100 किलोमीटर पड़ती थी वहीं INSTC से जो ट्रेड कॉरिडोर बना है उसकी लम्बाई पारम्परिक मार्ग से करीब आधी 7200 किलोमीटर है । पहले पारम्परिक मार्ग से माल सेंट पीटर्सबर्ग से समुद्र के रास्ते कैस्पियन सागर स्थित पोर्ट सिटी अस्त्राखान आता था ।
इसके बाद यह माल ईरान के उत्तरी बंदरगाह अंजाली तक पहुंचता था । वहां से माल सड़क के रास्ते फारस की खाड़ी स्थित बंदर अब्बास तक लाया जाता था। यहां से माल फिर मुंबई बंदरगाह के लिए रवाना होता था । बता दें कि पारम्परिक रास्ते स्वेज नहर से माल भारत तक पहुंचने में डेढ़ से 2 महीने लगते थे । वहीं नए ट्रेड कॉरिडोर INSTC से माल भारत तक करीब 25 दिनों में पहुंच जाएगा ।