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india china dispute: अरुणाचल प्रदेश भारत का एक राज्य होने के साथ-साथ भारत के एक अभिन्न अंग भी है जिस पर चीन अपनी नजर गड़ाए हुए है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों को अपने चीनी मैप में दर्शाने की बात कही और 15 जगहों की सूची तैयार की है जो कि भारत में परेशानी का सबब बन गई है । चीन ने इन 15 जगहों को अपने चीनी मैप मे प्रदर्शन की बात कही है और अरुणाचल प्रदेश को जांगनान नाम से पुकारा है । इससे पहले 2017 में भी चीन ने इन स्थानों को अपने मैप में दर्शाने के लिए कहा था लेकिन चीन की इस बात पर भारत ने आपत्ति जाहिर की थी। जिन पर चीन की नजर है उनमें से आठ अरुणाचल प्रदेश के निवास क्षेत्र हैं और चार पर्वत हैं और दो नदियां हैं । इसके अलावा एक पहाड़ी दर्रा है और इन्हीं 15 जगहों पर चीन कब्जा करना चाह रहा है कि इसे चीनी मैप में शामिल किया जाए जो कि भारत के लिए चिंता का विषय है । भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आपत्ति को जताते हुए कहा है कि चीन को यह ध्यान में रखना चाहिए कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। चीन को इस पर विचार करना चाहिए भारत और चीन में जो संबंध है जैसे सीमा संबंधों की बातों को ले, सीमा संबंधों के मसलों को ले ले इसमें तो द्विपक्षीय संबंध रहे हैं लेकिन यदि चीन अपने मन मुताबिक यदि कोई कानून अपने आप बना रहा है तो भारत को एक तनाव का माहौल बना रहा है और चीन की आक्रामक नीति बना रहा है। भारत ने चीन की इस नीति को खारिज कर दिया है। चीन की इस चाल को भारत क्या तरीका अपनाता है।
यह विवाद तब से है जब मैक मोहन की स्थापना हुई थी और यह विवाद बढ़ता गया और सन 1911 में चीन के साम्राज्यवादी शासन का अंत हो गया था और इसके बाद जनवरी सन 1913 में तिब्बत ने चीन से अलग होने की बात कही अलग-अलग शासन की घोषणा की लेकिन तिब्बत की इस बात को खारिज कर दिया गया। यूआन सिकाई की रिपब्लिक सरकार ने इस बात को ना मानते हुए कहा है कि तिब्बत स्वतंत्र नहीं है, तिब्बत चीन का अंग है। यूआन यहां के सर्वेसर्वा थे ।इस तनावपूर्ण माहौल में तब बिट्रिश शासन भी था, मैक मोहन का विभाजन भी किया गया लेकिन चीन ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया और इस पर वर्तमान की स्थिति में भी विवाद बना हुआ है। अरुणाचल प्रदेश पर चीन की नजर बनी रहती है । उसे अरुणाचल प्रदेश में दिलचस्पी इसलिए है क्योंकि यहां पर मोनपा जनजाति है जो अरुणाचल प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से मैं निवास करती है और इस जनजाति की अधिकांश जनसंख्या तिब्बती बौद्ध से जुड़ी है। चीन को यह चिंता बनी रहती है कि यह मोनपा जनजाति तिब्बती बौद्ध लोगों से मिलकर, जो वहां लोकतंत्र से मिलकर जो आवाज उठाई जा रही हैं उसमें भाग ना ले लें। जो उसके लिए चिंता का विषय है।
इसलिए चीन की कोशिश बनी रहती है कि अरुणाचल प्रदेश पर नियंत्रण पा लिया जाए तो मोनपा जनजाति उसकी मुट्ठी में आ जाएगी। अरुणाचल प्रदेश में सबसे बड़ा मठ तवांग मठ है जो तिब्बत में भी पड़ता है इसलिए चीन कहता है कि यह कुछ तिब्बत में होने की वजह से उस पर अपना अधिकार बनाने की कोशिश करता है। चीन अरुणाचल प्रदेश के पिछले हिस्से में सैन्य अभियान और सैन्य व्यायाम करता रहता है। और अपना विस्तारित कब्जा जमा रहा है। यह भारत की नजर में चिंता का विषय है। चीन हमेशा अरुणाचल प्रदेश में खींचातानी करता रहता है। यदि अरुणाचल प्रदेश में कोई कार्यक्रम हो या कोई नेता आए तो चीन कहता है कि मेरी अनुमति क्यों नहीं ली। चीन ऐसा चाहता है कि यदि कोई अरुणाचल प्रदेश आए तो चीन की अनुमति ले ।
20 साल से चुनाव लड़ रही है, रोज साइकिल से 100KM चलती है
इस प्रकार भारत चीन की इस नीति पर क्या अहम कदम उठाएगा। चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश पर दावे करता आया है और भारत अपनी पूरी शक्ति से इसका विरोध करता आया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपनी जमीन कहता है और उस जमीन को दक्षिणी तिब्बत कहता है। सन 1954 में भारत – तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया और हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा भी दिया गया। शिमला समझौते के दौरान सन 1914 में मैक मोहन रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा माना गया है तिब्बत पर चीनी हमला हुआ इसके बाद भारत और सैन्य दृष्टिकोण से और भी ज्यादा संवेदनशील हो गया है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है और हमेशा रहेगा।