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Gyaneshwari Yadav: कहानी उस लड़की की जिसने पिता के सपनों को पूरा कर इतिहास रच दिया

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Gyaneshwari Yadav

Gyaneshwari Yadav: दीपक यादव पेशे से इलेक्ट्रीशियन( बिजली मैकेनिक) हैं । जब दिन भर काम कर के थक जाते हैं तब कहीं परिवार का खर्च चलाने लायक कमा पाते हैं । दीपक का सपना बिजली मैकेनिक बनना नहीं था । जैसा कि बहुत लोगों के साथ होता है परिस्थितियां कुछ का कुछ बना देती हैं । यदि ऐसा न होता तो दीपक आज राजनांदगांव के भोड़िया गांव को ही नहीं बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे होते ।

बॉडी बिल्डर बनने का था सपना

Gyaneshwari Yadav

शरीर से हष्ट पुष्ट दीपक यादव ने 90 के दशक में बॉडी बिल्डिंग में हाथ आजमाया । आसपास के गांवों सहित जिले भर में प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए कई मेडल एवं पुरुस्कार जीते किंतु उनका सपना बस इतना भर पा लेना नहीं था। वह देश के लिए मेडल जीतना चाहते थे । वह लगातार मेहनत करते रहे । इस दौरान कुछ छोटे- बड़े मेडल एवं पुरुस्कार उनकी झोली में आये ।

सन 1998 में मध्यप्रदेश किशोर अवार्ड उसके बाद छत्तीसगढ़ कुमार, छत्तीसगढ़ श्री और मिस्टर राजनांदगांव खिताब जीते। वह इससे आगे जाना चाहते थे और प्रदेश एंव देश का नाम रौशन करना चाहते थे किंतु आर्थिक स्थिति उनके सपनों के बीच मे आ गयी और वह चाहकर भी बॉडी बिल्डिंग में आगे बढ़ नहीं सके।

बेटी की आंखों से देखा सपना

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जब आर्थिक स्थितियों ने दीपक को सपने से दूर किया तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और बेटी Gyaneshwari Yadav को बॉडी बिल्डिंग के लिए तैयार करना शुरू कर दिया। गांव से 8 किलोमीटर दूर कराजनांदगांव स्थित जय भवानी व्यायामशाला में कोच अजय लोहार के दिशा निर्देशन में प्रशिक्षण करवाना शुरू कर दिया। भोड़िया से हर रोज साइकिल पर बेटी ज्ञानेश्वरी को बिठाकर राजनांदगांव स्थित व्यायामशाला लेकर आना और प्रैक्टिस के बाद वापस साइकिल से लेकर जाने को मानो दीपक ने दिनचर्या ही बना ली ।

आखिर आंखों में जो सपना पल रहा था उसे भी तो पूरा करना था। यही नहीं दीपक बेटी Gyaneshwari Yadav संग खुद भी प्रैक्टिस करते और उसे वेट लिफ्टिंग के लिए तैयार करने में पसीना बहाते। इस दौरान वह बेटी के खानपान और डाइट का भी पूरा ध्यान रखते और कमजोर आर्थिक स्थिति होने के बावजूद वह बेटी के खानपान में कोई कमी नहीं आने देते । आखिर उन्होंने जो सपना देखा था उसे अधूरा कैसे छोड़ देते।

पदक जीतते देखकर आंखे भर आईं

ग्रीस के हेराक्लिओन में आयोजित वर्ल्ड जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में Gyaneshwari Yadav ने देश प्रदेश का नाम रोशन करते हुए 49 किलो वर्ग में रजत पदक अपने नाम किया। 2 मई की रात को जब ज्ञानेश्वरी ग्रीस में चल रही प्रतिस्पर्धा में वजन उठाने की तैयारी कर रही थी तब पिता दीपक सहित सारा परिवार टीवी के सामने बैठा बेटी के आने का इंतजार कर रहा था । दीपक बताते हैं,

उस रात हम सब उसे देखने को बेचैन थे । मुझे भरोसा था कि वह पदक जरूर जीतेगी। वह स्कूल के दिनों से ही ढेर सारे पदक जीतते आई है ।” ज्ञानेश्वरी ने पिता की अपेक्षाओं को पूरा करते हुए 49 किलोग्राम भारवर्ग में कुल 156 किलोग्राम वजन उठाकर रजत पदक जब अपने नाम किया तब दीपक सहित समूचे परिवार की खुशियों का ठिकाना न रहा और रात में ही घर और गांव में जश्न शुरू हो गया।

Gyaneshwari Yadav

छतीसगढ़ से पदक जीतने वाली पहली वेटलिफ्टर

Gyaneshwari Yadav छत्तीसगढ़ से इस प्रतियोगिता में कोई पदक जीतने वाली पहली लड़की तो हैं ही बल्कि पहली वेटलिफ्टर भी हैं । उनसे पहले अब तक रुस्तम सारंग,अनीता शिंदे, अजयदीप सारंग, मधु सूदन जंघेल, केशव साहू और जगदीश विश्वकर्मा वैश्विक टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं किंतु कोई भी पदक नहीं जीत सका ।

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टॉप 3 में रहीं 2 भारतीय

ग्रीस में चल रही विश्व जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में ज्ञानेश्वरी ने 49 किलोग्राम भारवर्ग में कुल 156 किलोग्राम वजन उठाया । उन्होंने स्नैच में 73 किलोग्राम और क्लीन एवं जर्क में 83 किलोग्राम वजन उठाकर रजत पदक जीता । जबकि तीसरे स्थान पर भी भारत की ही रितिका ने कांस्य पदक अपने नाम किया । रितिका ने 150 किलोग्राम का भार उठाकर यह पदक जीता। बता दें कि इस भारवर्ग में पहला स्थान इंडोनेशिया की आयशा कंटिका विंडी ने 185 किलोग्राम वजन उठाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया । ज्ञानेश्वरी की इस सफलता पर छत्तीसगढ़ वेटलिफ्टिंग संघ के पदाधिकारियों, खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों ने बधाई दी है ।

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