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Greenland: बर्फ के नीचे दबे “खजाने” को खोजने में जुटे अरबपति, बिल गेट्स सहित तमाम हस्तियां बहा रहीं पानी की तरह पैसा

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Greenland: दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जहां हर कोई हलकान है और एक बड़ा खतरा महसूस किया जा रहा है वहीं ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनिया के एक हिस्से में कुछ ऐसा भी हो रहा है जिसे कई नामचीन लोग आपदा में अवसर की तरह ले रहे हैं । ग्रीनलैंड के पश्चिमी क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग के चलते बर्फ के पहाड़ पिघल रहे हैं । दुनियाभर के तमाम बड़े अरबपति इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते ।

माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स, जेफ बेजोस सहित तमाम अरबपतियों को लगता है कि यहां पर जमीन के नीचे अकूत खजाना छिपा हुआ है । यही वजह है कि ये अरबपति उस जगह की जांच में अरबों रुपया खर्च कर रहे हैं । यदि अरबपतियों को ये खजाना मिल गया तो अगले कई सालों तक करोड़ों गाड़ियां बिना डीजल पेट्रोल के सड़कों पर दौड़ती नजर आएंगी ।

ट्रांसमीटर लगे हेलीकॉप्टरों और रडार से किया जा रहा सर्वे

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ग्रीनलैंड क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का 12 वां सबसे बड़ा देश है। वैसे तो यह देश स्व-शासित है किंतु ऊपरी तौर पर यह डेनमार्क के अधीन है । ग्रीनलैंड के 20 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र बर्फ और चट्टानों से ढका है । जलवायु संकट और ग्लोबल वार्मिंग के चलते इस देश में वर्षों से स्थित बर्फीले पहाड़ अब पिघल रहे हैं । वहीं बर्फ पिघलने से सैकड़ों सालों से दबे इलाके अब सामने आ रहे हैं ।

दुनिया के अरबपतियों जिनमें बिल गेट्स, जेफ बेजोस, बिजनेस मैन और राजनीतिज्ञ माइकल ब्लूमबर्ग सहित तमाम हस्तियां बर्फ से लदे पहाड़ों के पिघलने को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं । माइनिंग कम्पनियां और इन्वेस्टर्स इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहते । कम्पनियों को उम्मीद है कि इस दबे क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं । वहीं अरबपतियों ने माइनिंग कम्पनियों को यहां लगा दिया है जो ट्रांसमीटर लगे हेलीकॉप्टरों और रडार से इलाके का सर्वे कर रही हैं और खजाने के संभावित इलाकों की खोजबीन में जुटी हैं ।

30 जियोलॉजिस्ट सहित कई लोग जुटे हैं खजाने की खोज में

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Greenland के डिस्को आइलैंड और नुसुआक पेनिनसुला की घाटियों और बर्फीले पहाड़ों के नीचे बहुमूल्य खजाना दबा हुआ है । अरबपतियों सहित माइनिंग कम्पनियों को उम्मीद है कि यहां निकेल और कोबाल्ट का पर्याप्त भंडार मौजूद हो सकता है जो ग्रीन एनर्जी में काफी सहायक है । बता दें कि यदि ये भंडार कम्पनियों के हाथ लग जाता है तो दुनिया की अरबों इलेक्ट्रिक गाड़ियां इससे दौड़ाई जा सकती हैं । इलेक्ट्रिक गाड़ियों के अलावा ये धातुएं एनर्जी स्टोर करने वाली बड़ी बैटरियां बनाने में भी काम आती हैं ।

अब इसी खजाने की खोज में माइनिंग कम्पनियों और अरबपतियों ने अपनी टीम लगा रखी है । इस टीम में 30 जियोलॉजिस्ट,जियोफिजिसिस्ट,बावर्ची,पायलट्स, मैकेनिक आदि की पूरी टीम लगी हुई है और ग्रीनलैंड के बर्फीले इलाकों में मिट्टी का परीक्षण कर रही हैं । इसके अलावा जमीन के अंदर सम्भावित इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड की ट्रान्समिशन की सहायता से तलाश की जा रही है । ताकि पता लगने पर यहां खुदाई की जा सके ।

खजाने से हो जाएगी अरबपतियों की चांदी

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Greenland के बर्फ से ढके इलाकों में सम्भावित खजाने की खोज में दुनियाभर के अरबपति रात दिन एक किये हुए हैं । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हेलीकॉप्टर, रडार सहित तमाम तकनीकी का सहारा लेकर इस देश के पश्चिमी इलाके में माइनिंग कम्पनियां डेरा डाले हुए हैं । बता दें कि खजाने की खोज में जुटीं माइनिंग कम्पनियों को बिल गेट्स, जेफ बेजोस सहित कई अरबपति फंडिंग कर रहे हैं ।

जमीन के अंदर मौजूद बहुमुल्य धातुओं का यह खजाना यदि मिल गया तो इससे अरबों इलेक्ट्रिक गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती नजर आएंगी इसके अलावा यहां मौजूद निकिल और कोबाल्ट के उपयोग से ग्रीन एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर करने वाली बैटरियां भी बनाई जा सकेंगी ।

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