GPRA Act: केंद्रीय मंत्रियों को कैसे दिए जाते हैं बंगले, क्‍या है इन्‍हें खाली करने की पॉलिसी, जानें

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अभी हाल ही मे आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संपदा निदेशालय ने कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को उनके कार्यकाल के दौरान आवंटित किए बंगले खाली करवाए हैं। इनमें स्वर्गीय केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को आवंटित किया गया बंगला 12 जनपथ भी शामिल है जो उनके बेटे और जमुई से सांसद चिराग पासवान से खाली कराया गया है।

इसके अलावा बीजेपी के सांसद राम शंकर सिंह कठेरिया से 7 मोती लाल नेहरू मार्ग, पूर्व केंद्रीय मंत्री पीसी सारंगी से 10 पंडित पंत मार्ग और पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से 27 सफदरजंग रोड को खाली कराया गया है, जो अब नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को आवंटित किया गया है।

कैसे आवंटित होता है घर?

भारत सरकार की पूरे देश में स्थित सभी आवासीय संपत्तियों को संभालने और आवंटित करने की जिम्मेदारी संपदा निदेशालय के पास होती है। केंद्र सरकार के बंगलों का आवंटन जनरल पूल रेजिडेंशियल अकोमोडेशन (GPRA Act) एक्ट के अंतर्गत किया जाता है। GPRA Act में संपदा निदेशालय दिल्ली समेत देश के 39 जगहों पर केंद्र सरकार की आवासीय संपतियों का प्रबंधन करता है।
सभी केंद्र सरकार के कर्मचारी इस GPRA Act के तहत घर आवंटित करने की मांग कर सकते हैं। संपदा निदेशालय की ओर से घर का आवंटन कर्मचारी के वेतन, पद और अनुभव को देखकर दिया जाता है।

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क्या है खाली करने का प्रोसेस?:

सरकारी बंगलों को सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम, 1971 के तहत खाली कराया जाता है। निर्धारित अवधि के भीतर आवास नहीं खाली करने के पर आवंटन को रद्द कर दिया जाता है और इसके साथ बंगले से बेदखली की कार्यवाही भी शुरू कर दी जाती है। आमतौर पर किसी भी बंगले को खाली करने से पहले विभाग की तरफ से 30 दिन का नोटिस भी दिया जाता है।

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