पत्रकार Mohammed Zubair की गिरफ्तारी पर जर्मनी ने कसा तंज़! भारत के लोकतंत्र पर उठाया सवाल..

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Mohammed Zubair: जाने माने फैक्ट चेकर व पत्रकार मुहम्मद जुबेर की गिरफ्तारी का मामला विदेश में भी गर्माया हुआ है। इस मामले में सिर्फ पत्रकार ही नहीं बल्कि राजनेता भी अपनी अलग अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबेर की गिरफ्तारी को लेकर जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भी भारत के लोकतंत्र पढर सवाल किया है। दरअसल बुधवार को जर्मन विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मोहम्मद जुबेर थी गिरफ्तारी को लेकर भारत से सवाल किए हैं।

प्रेस की आज़ादी पर उठाए सवाल

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जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भी तंज़ कसते हुए प्रेस की आज़ादी पर सवाल उठाए हैं।

जर्मन विदेश मंत्रालय ने भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाते हुए कहा “,

”भारत देश ख़ुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है। ऐसे में भारत लोकतांत्रिक मूल्यों जैसे- अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी की उम्मीद है। प्रेस को आवश्यक स्पेस दिया जाना चाहिए। अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर हम प्रतिबद्धत हैं। हम दुनिया भर में प्रेस की आज़ादी के समर्थक हैं। यह एक ऐसी चीज़ है, जिसकी बहुत ही अहमियत है और यह भारत में भी लागू होता है। किसी भी समाज के लिए स्वतंत्र रिपोर्टिंग बेहद ही ज़रूरी है। पत्रकारिता पर इस प्रकार पाबंदी चिंता का विषय है। पत्रकारों को बोलने और लिखने के लिए जेल में नहीं डाल सकते।”

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अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जर्मन विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा,


”हमें भारत में हुई पत्रकार Mohammed Zubair की गिरफ़्तारी के बारे में जानकारी है। नई दिल्ली स्थित हमारे दूतावास की नज़र इस मामले पर ही है।
इस मामले में हम ईयू से भी संपर्क में हैं। भारत के साथ ईयू का मानवाधिकारों को लेकर संवाद है। इसमें अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी भी निहित है।”

जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से वहाँ के प्रसारक डीडब्ल्यू के प्रधान अंतरराष्ट्रीय संपादक रिचर्ड वॉकर ने पूछा कि जर्मनी हमेशा से प्रेस की आज़ादी को लेकर मुखर रहता है और जब भी कहीं भी पत्रकारों की गिरफ़्तारी होती है तो उसका विरोध भी करता है। फिर भारत को लेकर इस मामले में फ़र्क़ क्यों है? आखिर क्यों जर्मनी भारत के मामले में कोई सख़्त रुख़ नहीं अपना रहा?

इस सवाल का जवाब देते हुए मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा कि,

“हम हमेशा ही प्रेस फ्रीडम के पक्ष में रहे हैं। भारत से भी हम प्रेस की आजादी की उम्मीद करते है क्योंकि वो खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है।”

साथ ही जर्मन विदेश मंत्रालय ने कहा

“स्वतंत्र रिपोर्टिंग हर एक समाज के लिए बहुत जरूरी है। इसकी अपनी ही एक अहमियत है। भारत पर भी पत्रकारिता की आज़ादी और अहमियत की ये बात लागू होती है।”

गौरतलब बात है कि पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर Alt News फैक्ट चेकिंग वेबसाइट में काम करते हैं। इस वजह से वो अक्सर बीजेपी और RSS के नेताओं के भी दावों पर सवाल उठा कर तथ्य भी सामने रखते हैं। यही सबसे बडी वजह है कि पत्रकार मोहम्मद जुबेर को वर्तमान सत्ताधारी दल का विरोधी माना जाता है।

नरेंद्र मोदी ने की थी लोकतांत्रिक मूल्यों की वकालत

पिछले महीने 26 और 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी में जी-7 की बैठक में विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। यहां प्रधानमंत्री समेत अन्य पाँचों देशों ने जी-7 देशों के साथ 27 जून को ‘2022 रेज़िलिएंट डेमोक्रेसिज़ स्टेटमेंट’ पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार सिविल सोसायटी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा और विविधता और स्वतंत्रता की रक्षा की बात कही गई है जिसमें ऑनलाइन और ऑफ़लाइन विचार भी शामिल किए गए हैं।

जब भारत के प्रधानमंत्री इन लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर जी-7 के देशों के साथ काम करने की प्रतिबद्धता जता रहे थे, दिल्ली पुलिस ने उसी दिन फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के co-founder पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर को अरेस्ट कर लिया था।

हालांकि पत्रकार जुबैर की गिरफ्तारी एक पुराने ट्वीट को लेकर हुई है जिसमें एक हिंदी फिल्म के सीन को उन्होंने ट्विटर पर शेयर किया था ।

इसके अलावा Mohammed Zubair ने नूपुर शर्मा के मोहम्मद पैगंबर साहब के खिलाफ बयान मामले में धार्मिक भावना का हवाला देते हुए नूपुर का विरोध किया था, इसलिए ऐसे ही मामले में मुहम्मद जुबेर की गिरफ्तारी की गई जिससे सत्ताधारी दल यह साबित कर पाए कि उसके विरोधियों का रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं है।

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यूरोप दौरे में पीएम ने नहीं लिया था पत्रकारों से सवाल

प्रधानमंत्री मोदी मई के पहले हफ़्ते में यूरोप दौरे पर गए थे। इस दौरे पर मीडिया से सवाल न लेने और भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर भी पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना हुई थी।

Mohammed Zubair की गिरफ़्तारी पर UN की आपत्ति

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फैक्ट चैकर मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी का संयुक्त राष्ट्र ने भी 29 जून को विरोध किया था। संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि,

” पत्रकार के बोलने, लिखने और ट्वीट करने पर उसे जेल में बिल्कुल ही नहीं डाला जा सकता।”

यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरस के प्रवक्ता ने कहा था कि ,


” पत्रकारों अपना काम स्वतंत्र रूप से करने की आज़ादी होनी चाहिए। किसी भी पत्रकारों को बोलने और लिखने के लिए डराया या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।”

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