Categories: देश

Allahabad High Court: गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार लाए बिल, राजनीतिक प्रतिक्रिया में आनी शुरू हो गई

Published by

Allahabad High Court एक मामले की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि गौ मांस खाना किसी का भी मौलिक अधिकार नहीं है। कोई भी अपनी जीभ के स्वाद के लिए जीने का अधिकार नहीं छीन सकता। इसकी हत्या का इजाजत देना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि गौ रक्षा को किसी भी धर्म से जोड़ने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। गाय को अब एक राष्ट्रीय पशु घोषित कर ही देना चाहिए। केंद्र सरकार को भी इस पर विचार करने की जरूरत है। गाय भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है। सिर्फ हिंदू ही गाय के महत्व को नहीं समझते हैं। बल्कि मुस्लिम शासन काल में भी गाय को भारत के संस्कृत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया था। कोर्ट ने आगे कहां गायों को सिर्फ धार्मिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए व हर देशवासी का फर्ज बनता है कि वह गाय का सम्मान करें तथा उसकी सुरक्षा भी करें। हालांकि गायों के वध पर 5 मुस्लिम शासकों की ओर से रोक भी लगाया गया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र हाई कोर्ट के इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करती हैं। तो अगर ऐसा होगा तो यह मुद्दा राजनीतिक रंग ले लेगा। देखा जाए तो जिस के संकेत अभी से मिलने शुरू हो गए हैं।

राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए गाय को

शेखर कुमार यादव हाई कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि गाय को मौलिक अधिकार देना तथा गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए। जय को नुकसान पहुंचाने वाले की बात करने वालों को भी दंडित करने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही साथ गौ रक्षा का कार्य केवल एक धर्म संप्रदाय का नहीं है। बल्कि गाय भारत की संस्कृति है। तथा संस्कृत को बचाने का कार्य देश में रहने वाले हर नागरिक का है। चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों ना हो। कोर्ट ने आगे कहा सिर्फ बीफ खाने वालों का मौलिक अधिकार नहीं है। बल्कि जो गाय की पूजा करते हैं तथा आर्थिक रूप से गाय पर निर्भर हैं। ऐसे लोगों का भी मौलिक अधिकार है। जीवन का अधिकार मानने के अधिकार से कहीं ऊपर है। हालांकि गाय का मांस खाने को कभी मौलिक अधिकार माना ही नहीं जा सकता। गाय बूढ़ी और बीमार होने पर ही उपयोगी है। गाय के गोबर और मूत्र कृषि दवा बनाने के लिए बहुत ही उपयोगी माना जाता है। गाय की पूजा होती है जो कि सबसे बढ़कर है।

गाय की रक्षा करना सिर्फ किसी एक धर्म की जिम्मेदारी नहीं है.

हाईकोर्ट ने बुधवार को जावेद नाम के शख्स की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की थी। जावेद पर गौ हत्या रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 5 व 8 के तहत आरोप लगे हुए हैं। फिलहाल कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि गौ रक्षा सिर्फ किसी एक धर्म की जिम्मेदारी नहीं है। इस देश की संस्कृति गाय है। तथा इसकी सुरक्षा की हर एक जिम्मेदारी हमारी है। चाहे फिर आप किसी भी धर्म से ताल्लुक क्यों न रखते हो।

राजनीतिक प्रक्रिया कोर्ट के फैसले पर

कोर्ट के इस फैसले पर अब राजनीतिक प्रक्रिया आनी शुरू हो गई हैं। समाजवादी पार्टी की तरफ से तो अनुराग भदौरिया ने कहां की गाय हमारी माता है लेकिन जब से बीजेपी में सरकार आई है। गाय दर-दर भटक रही हैं। गाय पर बीजेपी राजनीति तो कर सकती है। लेकिन उसका संरक्षण नहीं। यूपी मंत्री मोहसिन रजा का कहना है कि गाय के संरक्षण को लेकर बीजेपी सरकार संकल्पित है। उनके रखरखाव से लेकर संरक्षण तक के सरकार ने कदम उठाए हैं। कोर्ट के फैसले स्वागत करते हैं। क्योंकि गाय प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए भी पूजनीय है। वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि गौ संरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। बीजेपी इसे संवैधानिक तौर पर क्योंकि यूपी में मांस पर रोक हैं लेकिन गोवा और असम में छूट है। इसका एक राष्ट्रीय स्वरूप भी होना चाहिए।

Share
Published by

Recent Posts