gas queen of ukraine
Gas Queen Of Ukraine: रूस और यूक्रेन के बीच काफी लंबे समय से चल रहा विवाद अब जंग में बदल चुका है। रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद कई लोग की मौत और नुकसान की खबरें सामने आ रही हैं। अब यूक्रेन भी रूस के सामने बहुत ही कमजोर दिख रहा है। अब ऐसे समय में यूक्रेन के लोग एक ऐसी महिला को याद कर रहे हैं जो अपने समय में रूस के सामने जरा भी नहीं डरी थी।
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Gas Queen Of Ukraine ये बहादुर महिला हैं यूक्रेन की पहली महिला प्रधानमंत्री यूलिया तेमोसेंकोवा। वह रूस के खिलाफ हर मोर्चे पर डटी रहीं थी और उसने बिना डरे बड़ी ही निर्भयता से रूस को हर मोर्चे पर खुलकर जवाब दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स व यूक्रेन के लोगों के अनुसार आज जो रूस जुल्मों सितम के कहर बरपा रहा है वह यूलिया तेमोसेंकोवा को नहीं डराने में कभी भी कामयाब नहीं हो पाया। युक्रेन के लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अगर आज यूक्रेन की कमान यूलिया तेमोसेंकोवा के हाथों में होती तो शायद ऐसे हालात कभी पैदा होते ही नहीं।
Gas Queen Of Ukraine के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान यूलिया कभी भी रूस को सख्त लहजे में जवाब देने से डरी नहीं थी। उन्होंने युद्ध किए बिना ही रूस को कभी भी एक इंच जमीन पर भी कब्जा करने में कामयाब नहीं होने दिया। कहा जाता हैं कि उनका लहजा ही इतना सख्त था कि रूस जैसा देश भी उनसे कांपने लगता था। यूलिया को गैस क्वीन भी कहा जाता है। ये उपनाम इन्हें इसलिए मिला क्योंकि यूलिया का शुमार यूक्रेन की सबसे सफल बिजनेस वुमन में होता था तथा उनका बड़े स्तर पर गैस का बिजनेस भी था।
Gas Queen Of Ukraine यूलिया दो बार यूक्रेन की प्रधानमंत्री बनीं थीं। सबसे पहले वह साल 2005 में यूक्रेन की प्रधानमंत्री बनीं थी। इसके बाद साल 2007 में उन्हें दोबारा से ये सम्मान मिला। उस बाद वह 2007 से 2010 तक यूक्रेन की प्रधानमंत्री रहीं थी। यूक्रेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने से पहले यूलिया तेमोसेंकोवा ने 2004 में नए देश राष्ट्रपति विक्टर यूश्नकोव के खिलाफ शुरू हुए ऑरेंज रिवोल्यूशन मुहिम में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूक्रेन में साल 2004 में हुए राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले विक्टर यूश्नकोव रूस के समर्थक थे। ऐसे में यूलिया और अन्य विपक्षी नेताओं ने विक्टर पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था।
Gas Queen Of Ukraine इस विरोध के चलते ही यूक्रेन में ‘ऑरेंज रिवोल्यूशन’ की शुरु हुई थी। विक्टर का विरोध करने में यूलिया सबसे आगे खड़ी थीं। इसके अलावा यूलिया की पार्टी के झंडे का रंग ऑरेंज था और इसी के वजह से हघ इस विरोध को ‘ऑरेंज रिवोल्यूशन’ कहा गया था। यूलिया इस अभियान में डटी रहीं थी तथा अपने तर्क रखने से भी बिल्कुल ही पीछे नहीं हटीं। यूक्रेन की जनता भी यूक्रेन और यूलिया के समर्थन में थी। जनता के समर्थन के कारण ही उनकी जीत हुई और रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यूश्नकोव को युक्रेन छोड़कर भागना पड़ा था।
Gas Queen Of Ukraine साल 2010 में यूक्रेन में हुए राष्ट्रपति चुनाव में यूलिया ने भी चुनाव लडा था लेकिन वह विक्टर यूश्नकोव से मात्र 3.3% वोट से पिछड़ गईं। विक्टर ने यूलिया से 2004 में हुए उनके विरोध का बदला लेने की ठान कर गैस डील भष्टाचार का आरोप लगाकर उन्हें जेल भेज दिया। बताया जाता है कि साल 2011 से 2014 तक जेल में रही यूलिया को इस दौरान शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत ही प्रताड़ित किया गया लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बिल्कुल भी हार नहीं मानी। यूलिया को उस दौरान दुनिया भर से यूरोपियन यूनियन से लेकर अमेरिका समेत कई देशों का साथ भी मिला था।
Gas Queen Of Ukraine जेल से रिहाई के बाद यूलिया ने दोबारा 31 मार्च, 2019 को यूक्रेन में हुए राष्ट्रपति चुनाव के किस्मत को आजमाया लेकिन उन्हें 13.40% वोट ही मिले और वह तीसरे स्थान पर रहीं। साल 2019 में वह संसद के लिए चुनी गईं और उन्होंने विपक्ष में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया था।
27 नवंबर 1960 को निप्रॉपेट्रोस, यूक्रेनी एसएसआर, सोवियत संघ में जन्मी यूलिया के पिता ने जब वे 3 साल की थीं तभी उनकी मां को छोड़ दिया। तब से ही यूलिया ने भी अपने पिता का सरनेम त्याग कय और मां का सरनेम अपना लिया था।
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Gas Queen Of Ukraine 2005 में यूलिया को फोर्ब्स मैग्जीन ने दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं की लिस्ट में तीसरे नंबर पर स्थान दिया था। यूलिया यूक्रेन सिर्फ ही नहीं, बल्कि पूर्व सोवियत संघ के देशों में पहली महिला प्रधानमंत्री थीं।