Foreign Universities in India: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने हाल ही में अपने अंतिम नियमों का अनावरण किया है, जो दुनिया के शीर्ष 500 में शामिल विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में ब्रांच प्रेमिसेस स्थापित करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है, कई प्रमुख संस्थान भारत में अपने स्वयं के कैंपस स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।
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एक विस्तृत दिशानिर्देश में यूजीसी ने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों को नए पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले यूजीसी से पूर्वानुमति लेनी होगी। भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों को यूजीसी नियमों के अनुसार अपने भर्ती मानदंडों के अनुसार फेकल्टी और कर्मचारियों की भर्ती करने का अधिकार होगा।
नियमों के अनुसार, विदेशी विश्वविद्यालय भारत में शिक्षण केंद्र, अध्ययन केंद्र या मूल संस्थाओं की फ्रेंचाइजी नहीं खोल सकते हैं। आयोग ने विदेशी विश्वविद्यालयों (Foreign Universities in India) को ऑनलाइन कोर्स या डिस्टेंस एजुकेशन प्रदान करने से भी रोक दिया है।
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भारत में कैंपस स्थापित करने की कतार में एक प्रमुख नाम इटली के इस्टिटूटो मारंगोनी का है। दुनिया के शीर्ष 100 कला और डिजाइन संस्थानों में से एक, इस्टिटुटो मारंगोनी के भारत में एक शाखा परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी के नए नियमों के तहत आवेदन करने की संभावना है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस्टिटुटो मारंगोनी के प्रतिनिधि उच्च शिक्षा नियामक के संपर्क में हैं, और मुंबई , दिल्ली या गुड़गांव जैसे ऑप्शंस के साथ कैम्पस के लिए संभावित स्थलों की तलाश कर रहे हैं। हालाँकि संस्थान केवल सर्टिफिकेट कोर्स ही प्रदान करता है।
इस्टिटुटो मारांगोनी के प्रबंध निदेशक स्टेफ़ानिया वैलेंटी ने कहा, “यूजीसी नियम एक स्वागत योग्य कदम है। इससे आगे चलकर म भारत और पड़ोसी देशों के छात्रों को मदद मिलेगी।” वैश्विक स्तर पर 375वें स्थान पर स्थित वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी (डब्ल्यूएसयू) भी 2025 तक बेंगलुरु में कैंपस स्थापित करने की इच्छुक है। इसके अलावा, छह ऑस्ट्रेलियाई युनिवर्सिटीज भारत में एक संयुक्त कैंपस की योजना बना रहे हैं। ऐसा पता चला है कि फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी (वैश्विक स्तर पर 380वें स्थान पर), ग्रिफ़िथ यूनिवर्सिटी (243वें स्थान पर), जेम्स कुक यूनिवर्सिटी (415वें), ला ट्रोब यूनिवर्सिटी (242वें), कैनबरा विश्वविद्यालय (421वें) और डब्ल्यूएसयू से सहयोग की उम्मीद है।