Football World Cup Trophy: आज 20 मार्च है, यूं तो 20 मार्च कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है। परंतु तमाम विषयों से इतर एक विषय ऐसा भी है, जो 20 मार्च को बहुत ही हास्यास्पद बना देता है, वह यह कि आज ही के दिन कभी फुटबॉल विश्व कप की ट्रॉफी चोरी हो गई थी, जिसे ढूंढने में पुलिस को नाकों चने चबाने पड़े थे। यह चोरी अपने इतिहास के महत्वपूर्ण चोरियों में से एक रही है। अतः आज हम आपको इस चोरी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। जो आपके लिए लाभप्रद भी होगी और आपको अच्छी भी लगेगी।
इस पोस्ट में
सबसे पहले आपको हम यह बता देते हैं। कि हम जिस चोरी की बात कर रहे हैं। वह चोरी कब हुई थी, तो आपको बता दें, यह चोरी 20 मार्च 1966 को हुई थी। 20 मार्च 1966 का दिन ही वह दिन था। जब एक ऐतिहासिक ट्रॉफी को कुछ चोर सबकी आंखों में धूल झुकते हुए उठा ले गए। और किसी को कानों कान खबर भी नहीं हुई।
आपको यह भी बता दें, कि 1966 का फुटबॉल विश्व कप जिसे आप लोग फीफा विश्वकप के नाम से जानते हैं। वह ब्रिटेन में हो रहा था। अर्थात फीफा विश्व कप की मेजबानी ब्रिटेन कर रहा था, और यह करिश्माई चोरी भी ब्रिटेन की धरती पर ही हुई थी। जिसके बाद चोरी हुई ट्रॉफी को ढूंढने में ब्रिटेन की पुलिस को नाको चने चबाने पड़े थे।
आपको यह भी बता देते हैं। कि उस ट्रॉफी का नाम क्या था, प्राप्त हो रहे आलेखों के माध्यम से यह पता चलता है। कि 20 मार्च 1966 को ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर हाल से इस ट्राफी को चुराया गया था। उस ट्रॉफी का नाम ज्यूल्स रिमेट था, आपको बता दें, इस ट्रॉफी को सेंट्रल लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में इसलिए रखा था। ताकि आम लोग इसे देख सकें परंतु यहीं से किसी सिरफिरे ने इसे चुरा लिया था।
आपको बता दें, कि ट्रॉफी चोरी होने के बाद वहां की पुलिस ने दिन-रात परिश्रम करके इस ट्रॉफी को ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन सारी मेहनत असफल रही फिर अचानक एक दिन फुटबॉल एसोसिएशन को एक अज्ञात चिट्ठी मिली और उस चिट्ठी में एसोसिएशन से 15000 यूरो की मांग की गई थी।
जाहिर है, कि ट्रॉफी को पैसों के लिए ही चुराया गया था। हालांकि चिट्ठी लिखने वाले को पुलिस ने पकड़ लिया था। लेकिन फिर भी ट्रॉफी नहीं मिल सकी।
ऐसा गांव जहाँ हिन्दू और मुस्लिम आपस में शादी करते है एक परिवार में भाई हिन्दू तो दूसरा भाई मुस्लिम
मुसलमान शख्स ने अपने हिन्दू दोस्त की बचाई जान , दे दी अपनी किडनी भी
चिट्ठी लिखने वाले व्यक्ति को तो पुलिस ने पकड़ लिया लेकिन उसके माध्यम से वह ट्रॉफी तक नहीं पहुंच सकी, फिर अचानक से 27 मार्च को लंदन का एक व्यक्ति डेबिट कार्बेट अपने कुत्ते पिकल्स के साथ बाहर टहलने के लिए निकला उसका कुत्ता अचानक से एक कार के आसपास चक्कर लगाने लगा, संदेह होने पर उस कार की तलाशी ली गई, तो उसमें अखबार में लिपटा हुआ एक पैकेट दिखाई दिया,इस पैकेट को खोला गया तो उसमें फुटबॉल विश्व कप की वही ज्यूल्स ट्रॉफी रखी हुई थी, इस प्रकार एक कुत्ते की वजह से 20 मार्च 1966 को चोरी की गई ट्राफी वापस मिल गई। यह थी आज के दिन इतिहास में हुई एक करिश्माई चोरी की कहानी है।