First Woman Loco Pilot of India: एक ऐसी महिला जो भारत की नहीं बल्कि एशिया की पहली महिला ट्रेन पायलट है..

Published by

First Woman Loco Pilot of India: देश में रेल गाड़ी चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ पुरुषों के हाथ में हुआ करता था। लेकिन इस धारणा को तोड़ने वाली पहली महिला सुरेखा यादव बनीं। जो लोग ये कहते हैं कि लड़की गाड़ी नहीं चला सकती। उनको ट्रेन चलाते महिलाएं भला कैसे बर्दाश्त होंगी? आप से अगर कोई ऐसा कहे कि लड़कियां ड्राइविंग नहीं कर सकती है। तो आप सुरेखा यादव का नाम जरूर बताइएगा।

जो करीब तीन दशक पहले ही दकियानूसी समाज का यह भ्रम तोड़ चुके हैं। भारत की पहली रेल ड्राइवर सुरेखा यादव है। सिर्फ इतना ही नहीं सुरेखा यादव एशिया महाद्वीप की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर है। वर्ष 1988 में उन्हें बतौर ट्रेन ड्राइवर के तौर पर प्रमोट किया गया।

First Woman Loco Pilot of India


हम आपको आज के इस आर्टिकल में सुरेखा के इंस्पायरिंग कहानी के बारे में बताएंगे। जिसने सुरेखा को देश की एक आम महिला को ऐतिहासिक महिला के रूप में बदल दिया।

First Woman Loco Pilot of India सुरेखा यादव कौन है?


सुरेखा यादव का जन्म 2 सितंबर 1965 को महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने सतारा के सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी की। जबकि हायर स्टडीज के लिए उन्होंने Vocational Training Course की शिक्षा ली। फिर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने का फैसला किया।

First Woman Loco Pilot of India

First Woman Loco Pilot of India सुरेखा यादव शिक्षिका बनना चाहती थी

Media channel एक इंटरव्यू में सुरेखा ने यह बताया कि वह हमेशा से लोको पायलट नहीं बनना चाहती थी। आम लड़कियों की तरह हीं उनका सपना भी बी-एड की डिग्री प्राप्त करके टीचर बनना था। लेकिन उन्होंने जब भारतीय रेलवे में काम करना शुरू किया तब वो लोको पायलट बनना चाहती थी।। बचपन से ही टेक्निकल बैकग्राउंड और ट्रेनों में फैशन के चलते ही सुरेखा यादव ने पायलट के लिए फॉर्म भरा।

वर्ष 1986 में उन्होंने रिटर्न परीक्षा क्वालीफाई की और इंटरव्यू क्वालीफाई किया। इसके बाद से सुरेखा को अगले 6 महीने तक कल्याण ट्रेनिंग स्कूल में सहायक चालक के रूप में नियुक्त किया गया। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद से वर्ष 1989 में एक नियमित सहायक ड्राइवर बन गई।

First Woman Loco Pilot of India

पहले मालगाड़ी चलाई

शुरू में सुरेखा यादव को मालगाड़ी के ड्राइवर के रूप में नियुक्त किया गया। जहां पर उनकी ड्राइविंग स्किल्स और भी ज्यादा अच्छी हो गई। वर्ष 2000 में सुरेखा को मोटर महिला के पद पर प्रमोट किया गया। वर्ष 2010 में सुरेखा को पश्चिमी घाट की रेलवे रूट पर ट्रेन चलाने का मौका मिला। जिसके बाद से वर्ष 2011 में वह “एक्सप्रेस मेल” की पायलट बनी। हर प्रमोशन के साथ ही सुरेखा ने एक और नया मुकाम अपने नाम किया। वर्ष 2011 में महिला दिवस के अवसर पर सुरेखा को एशिया की पहली महिला ड्राइवर होने का खिताब हासिल हुआ।

अपने समय की सबसे हसीन डाकू, आज भी जब घर से निकलती है तो लोगों की हालत पतली हो जाती है

Aadhar Card की भी होती है एक्सपायरी डेट, जानिए कैसे करें चेक..

कार या फिर बाइक चलाने का अनुभव नहीं है

बखूबी ट्रेन चलाने वाली सुरेखा यादव को कार या फिर बाइक चलाने का कोई भी अनुभव नहीं है। जिस वजह वह हैवी वाहनों के चलाने वाली कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन कर सामने आई। सुरेखा यादव ने पुणे के डेक्कन क्वीन से सीएसटी रूट पर ट्रेन ड्राइविंग की थी। जिसको सबसे खतरनाक रेलवे रूट(भारत के खूबसूरत रेल रूट) में से एक माना जाता है। सुरेखा यादव उन लोगों के सवालों का खामोश जवाब है। जो ये मानते हैं कि लड़कियां ड्राइविंग नहीं कर सकती।

Recent Posts