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Edible Oil News: खाद्य तेल पर इंडोनेशिया के प्रतिबंध का भारत पर पड़ने वाला है ये ये असर

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Edible Oil News इंडोनेशिया और मलेशिया है पाम तेल के प्रमुख निर्यातक

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Edible Oil News: मंत्रालय के अनुसार, देश में आयात होने वाले कुल खाद्य तेलों में पाम तेल की हिस्सेदारी करीब 62 फीसदी है। मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया पाम तेल के प्रमुख निर्यातक हैं। वहीं, आयातित खाद्य तेलों में 22 प्रतिशत सोयाबीन तेल है, जिसे अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है।

इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध

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इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध के बीच सरकार ने बड़ा आश्वासन दिया है। सरकार ने कहा है कि देश में खाद्य तेलों का पर्याप्त भंडार है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि देश में सभी खाद्य तेलों का मौजूदा स्टॉक करीब 21 लाख मीट्रिक टन है, जबकि मई में 12 लाख मीट्रिक टन खाद्य तेल उपलब्ध होगा। पिछले साल की तुलना में इस साल सोयाबीन का उत्पादन भी काफी ज्यादा रहा है और इस साल सरसों का उत्पादन पिछली बार की तुलना में एक तिहाई से ज्यादा रहने की उम्मीद है।

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मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा फरवरी में तिलहन उत्पादन को लेकर जारी दूसरे अग्रिम अनुमान से भारत में सोयाबीन के उत्पादन की काफी बेहतर तस्वीर सामने आई है. अनुमान वर्ष 2021-22 में इसका उत्पादन 126.10 लाख मीट्रिक टन बताया गया है, जो पिछले वर्ष के 112 लाख मीट्रिक टन के उत्पादन से अधिक है। वहीं, पिछले साल की तुलना में राजस्थान सहित सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरसों की 37 प्रतिशत अधिक बुआई से 2021-22 सीजन में सरसों का उत्पादन बढ़कर 114 लाख मीट्रिक टन हो सकता है।

खाद्य तेलों में इसकी हिस्सेदारी 15 फीसदी

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मंत्रालय के अनुसार, देश में आयात होने वाले कुल खाद्य तेलों में पाम तेल की हिस्सेदारी करीब 62 फीसदी है। मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया पाम तेल के प्रमुख निर्यातक हैं। वहीं, आयातित खाद्य तेलों में 22 प्रतिशत सोयाबीन तेल है, जिसे अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है। कुल खाद्य तेलों में, सूरजमुखी तेल मुख्य रूप से यूक्रेन और रूस से आयात किया जाता है। कुल खाद्य तेलों में इसकी हिस्सेदारी 15 फीसदी है।

कम हो सकते है तेल के दाम

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वर्तमान में, वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर या लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग खाद्य तेलों की कीमत और उपलब्धता की स्थिति की निगरानी कर रहा है

उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में और कमी पर चर्चा करने के लिए प्रमुख खाद्य तेल प्रसंस्करण संघों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जमाखोरी और मुनाफाखोरी की जांच के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा विशेष टीमों का भी गठन किया गया है।

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खाद्य तेलों की कीमतों पर दिन-प्रतिदिन कड़ी निगरानी रखी जा रही है ताकि खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय किए जा सकें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कीमतें स्थिर रहे और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो।

कच्चे तेल का भी होगा भंडारण

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कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए सरकार देश के तेल भंडार को बढ़ाने की योजना बना रही है। ताकि कच्चे तेल का आयात कम हो या बंद हो जाए, देश में इसका पर्याप्त भंडार हो। सरकार चाहती है कि तेल व्यापारी और उत्पादक देश में तेल की क्षमता बढ़ाने में मदद करें। भारत को दो नई तेल सुरंग बनाने के लिए 11 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है।

इसमें देश को 12 दिनों के लिए कच्चे तेल की जरूरत की पूर्ति की जा सकती है। तेल कंपनियां कच्चे तेल की दर और डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य के हिसाब से हर दिन पेट्रोल और डीजल की कीमत तय करती हैं। ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है।

कच्चा तेल देश की 10 दिनों की जरूरत को कर सकता है पूरा

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कहां से आएगा तेल: अगर निजी कंपनियां तेल देंगी तो भारत की प्राथमिकता कच्चे तेल को लेने की होगी सरकारी स्वामित्व वाली एसपीआर परियोजनाओं में निवेश के लिए निजी कंपनियों के साथ करार करेंगे। भारत के लिए सुरंगों का निर्माण क्यों महत्वपूर्ण है भारत 85% कच्चे तेल का आयात करता है।

तेल की बढ़ती कीमतों और बदलती परिस्थितियों के कारण तेल आयात प्रभावित हो सकता है। तीन एसपीआर में भरा कच्चा तेल देश की 10 दिनों की जरूरत को पूरा कर सकता है। अन्य दो एसपीआर जो बनने वाले हैं, 12 दिनों के तेल की आवश्यकता को पूरा करेंगे।

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