आजादी के लडाई समय में जिन क्रांतिकारियों के खून से धारा लाल हुई थी। ऐसे महान क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पर पहुंचाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली सुरंग दिल्ली विधानसभा में मिली है। इस सुरंग की लंबाई लगभग 7 किलोमीटर मानी जा रही है। दिल्ली विधानसभा से लाल किले तक जाती है। इतिहास में ही ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि वर्तमान दिल्ली विधानसभा की इमारत को स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम दिनों के वर्षों में अंग्रेजों ने अदालत के रूप में इसे इस्तेमाल किया। लेकिन अब इसे आम लोगों के लिए खोलने की तैयारी है। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बताया कि इसके इतिहास को लेकर अस्पष्टता नहीं है। चूंकि उन्होंने यह भी बताया कि यह अंग्रेजो की तरफ से इस्तेमाल में लाया जाता रहा होगा। ढूंढने कहा कि पर्यटन विभाग को शनिवार व रविवार को विधानसभा में लोगों के लाने की अनुमति दी जाए। इसके अनुसार से वे विधानसभा का ढांचा तैयार कर रहे हैं। विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने आगे कहा कि “75वें वर्ष की वर्षगांठ में अगली 26 जनवरी या फिर 15 अगस्त से पहले ही इसे एक स्वरूप देकर आम जनता के लिए खोला जाएगा।
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Delhi: दिल्ली विधानसभा को लाल किले से जोड़ने वाली करीब 5.6 किलोमीटर लंबी सुरंग का नवीनीकरण बहुत जल्द शुरू होने जा रहा है। जब यह पूरा हो जाएगा तो इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके अंतर्गत कोई नई खुदाई नहीं की जाएगी। अंग्रेजों के समय से ही इस सुरंग का उपयोग स्वतंत्रता सेनानियों को विधानसभा से लाल किला तक ले जाने के लिए किया जाता था। इसके सार्वजनिक होने से ही आम दिल्ली वाले ऐतिहासिक विरासत देख सकेंगे।
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष रामनिवस गोयल ने कहा कि 1993 में जब वह विधायक बने थे। तभी उन्होंने विधानसभा में एक सुरंग होने की बात सुनी थी। उन्होंने इसके इतिहास को बहुत खोजने की कोशिश की। लेकिन पर्याप्त जानकारी नहीं मिल सकी। एक बार फिर साल 2016 में उन्होंने इस दिशा में कोशिश की और ये सुरंग मिल गई। गोयल के अनुसार सुरंग की आगे खुदाई नहीं होगी। इसकी खास वजह यह है कि मेट्रो परियोजना और सीवर निर्माण की वजह से सुरंग के रास्ते नष्ट हो गए हैं। गोयल के अनुसार इतिहास में प्रमाण मिलते हैं कि दिल्ली विधानसभा की वर्तमान इमारत को स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम वर्षों में अंग्रेजों ने अदालत के रूप में इसका उपयोग किया। इसका समय 1926, 1927 से 1947 तक माना जा रहा है। फांसी घर में बनेगा स्वतंत्रता सेनानियों का तीर्थ स्थल। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि विधानसभा परिषद में फांसी के कमरे की मौजूदगी के बारे में पता था। लेकिन इसे कभी खोला नहीं गया था। इस कमरे का निरीक्षण करने का फैसला आजादी के 75 साल के अवसर पर किया था। अब इस कमरे को स्वतंत्रता सेनानियों के लिए श्रद्धांजलि के रूप में तीर्थ स्थल में बदल दिया जाएगा। तथा अगले साल तक पर्यटक भी इसे देख सकेंगे।
दिल्ली विधानसभा के इमारत के बारे में कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं। जैसे कि दिल्ली देश की राजधानी बनने के बाद सन् 1911 से ही इस इमारत को सेंट्रल लेजेस्लेटिव एसेंबली यानी अंग्रेजों ने इस इमारत को अपने संसद भवन के रूप में इस्तेमाल किया। ये इमारत सन् 1926 तक अंग्रेजों की सांसद रहीं। 14 सालों तक यह इमारत अंग्रेजों की संसद रही। तथा सन् 1926 से 1947 तक अंग्रेजों की अदालत।
इस सुरंग की चौड़ाई और ऊंचाई इतनी है कि इसमें कई लोग एक साथ सीधे खड़े होकर आवागमन कर सकते हैं। इस सुरंग के अंतिम छोर पर एक गेट मिला है। गेट के पहले ही एक स्थान मिला है। जहां पर एक साथ कई लोग ठहर सकते हैं। ये सुरंग पक्की ईंटों से बनी है। और इसके ऊपर से प्लास्टर है।