Curcumin Cancer Clinical Trials: भारत समेत सभी दक्षिण एशियाई देशों की रसोई में हल्दी का इस्तेमाल होता है लेकिन क्या हल्दी सिर्फ स्वाद के लिए इस्तेमाल होता है या फिर यह हमारा स्वाद बेहतर करने से लेकर कैंसर तक से बचा सकता है आपको हजारों ऐसे लेख मिल जाएंगे जिसमें बताया गया है कि हल्दी किस तरीके से सीने में जलन, अपच से लेकर गंभीर बीमारियों जैसे डायबिटीज, डिप्रेशन, अल्जाइमर तक का इलाज कर सकती है यहां तक कि इससे कैंसर का भी इलाज हो सकता है।
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हल्दी पर हजारों तरह के अध्ययन हो चुके हैं माना जाता है कि इसमें मौजूद एक यौगिक इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार है यह है करक्यूमिन, चूहों पर हुए प्रयोग में पाया गया है कि करक्यूमिन कि काफी अधिक मात्रा उनमें कई तरह के कैंसर के बढ़ने से रोकने में सफल रही है लेकिन हल्दी में दो तीन फ़ीसदी करक्यूमिन होता है और जब हम इसे खाते हैं तो उतनी ही मात्रा में हमारे शरीर में अवशोषित नही होती क्या थोड़ी मात्रा में हल्दी का लगातार इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है या फिर हमें हल्दी मिले सप्लीमेंट या फिर करक्यूमिन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि बीमारियां दूर रहें।
इस बात को जानने के लिए ब्रिटेन में हो रहे रिसर्च के मुताबिक, इसमें 100 वॉलिंटियर्स को शामिल किया गया जिसमें इन को तीन समूहों में बांटा गया। पहले समूह को हर दिन एक चम्मच हल्दी खिलाई गई दूसरे समूह को इतनी ही हल्दी सप्लीमेंट के रूप में दी गई और तीसरे समूह को हल्दी बता कर कोई और चीज दे दी गई।
पहले टेस्ट में यह देखा गया कि हल्दी खाने वाले शख्स की रक्त कोशिकाओं ने जलन का किस तरह प्रतिरोध किया और यह पता लगा कि उसका इम्यून सिस्टम कितना बेहतर है। इससे जानने में यह मदद मिल सकती थी कि क्या हल्दी जलन को इतना अधिक घटा सकती है कि डायबिटीज जैसी लंबी बीमारियों पर असर पड़ सके।
दूसरे दौर के टेस्ट में श्वेत रक्त कणिकाओं की कोशिकाओं की गिनती की गई डीएनए टेस्ट के लिए इसके नतीजों की जरूरत थी। लेकिन इसके विश्लेषण में रिसर्च में शामिल लोगों के इम्यून सिस्टम की स्थिति का भी संकेत दिया।
तीसरा टेस्ट यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की ओर से विकसित किया गया था।
इसमें डीएनए के मैथिलेशन (DNA methylation) का पता लगाया गया हल्दी के कैंसर रोधी गुण का पता लगाने के लिए यह रिसर्च की गई थी।
न्यूकैसल यूनिवर्सिटी में जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस टेस्ट विकसित किया गया था उसके मुताबिक रिसर्च में शामिल किए गए तीनों समूह के लोगों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का लेवल बराबर है।
हमारे इम्यून सिस्टम पर मौसम के बदलाव का असर होता है, सन बर्न ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ा देता है 6 हफ्ते में इस तरीके का बदलाव सभी तीन समूहों के लोगों में दिखने लगा था। श्वेत रक्त कोशिकाओं की गिनती से यह पता चला कि तीनों समूहों में इम्यून कोशिकाओं की कमी आई है। सभी समूहों में यह बराबर घटा है।
हल्दी के नाम पर कुछ और लेने वाले और हल्दी सप्लीमेंट के लेने वालो के डीएनए मिथाइलेशन में कोई अंतर नही था।
लेकिन जो लोग भोजन में हल्दी का इस्तेमाल कर रहे थे उनके मिथाइलेशन पैटर्न में अंतर था।
Curcumin Cancer Clinical Trials, यूसीएल के रिसर्चर ने 1 जीन (Gene) में नाटकीय बदलाव देखा और यह जीन चिंता, अस्थमा, एग्जिमा और कैंसर के जोखिम से जुड़ा था इस जीन की गतिविधियों में बदलाव दिख रहा था।
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यह कहना जल्दबाजी होगी कि इसका सकारात्मक असर होता है या नकारात्मक लेकिन हल्दी की वजह से जीन की गतिविधियों में यह बदलाव फायदेमंद साबित हो सकता है।
लेकिन यहां एक बात बता देना जरूरी है रिसर्चरों ने रिसर्च में शामिल लोगों के ब्लड सैंपल में करक्यूमिन (Curcumin) के स्तर का विश्लेषण नही किया था।
एक वजह यह भी हो सकती है कि जो लोग भोजन बनाने में हल्दी का इस्तेमाल कर रहे थे उन्होंने अपना आहार बदला हो, इस से मैथिलेशन बदल गया हालांकि यह हल्दी का असर नहीं। एक सवाल उठता है कि भोजन में हल्दी और हल्दी सप्लीमेंट के इस्तेमाल में क्या फर्क है यह समझा जाता है कि भोजन में हल्दी का इस्तेमाल हमारे शरीर में करक्यूमिन अवशोषित करने का स्तर तय करता है।
करक्यूमिन लिपोफिलिप होता है इसका मतलब यह है कि यह वसा से बंधा होता है। लिहाजा जब हम भोजन बनाने में तेल का इस्तेमाल करते हैं तब करक्यूमिन तेल से बध जाता है और आसानी से हमारी पेट में अवशोषित हो जाता है। काली मिर्च भी यह काम कर सकती है इसमें मौजूद पिपरीन नाम का एक यौगिक यह क्या काम कर सकता है। इसीलिए हल्दी काली मिर्च और तेल को मिलाकर बना खाना अच्छा कॉन्बिनेशन साबित हो सकता है।
Curcumin Cancer Clinical Trials, इन अध्ययनों से पता चला कि कैंसर विकसित होने से रोकने वाली चीज के तौर पर हल्दी पर आगे रिसर्च की जा सकती है। यानी इसमें कैंसर के विकास रोकने की क्षमता हो सकती है। हालांकि कैंसर जैसी लंबे समय मैं विकसित होने वाली बीमारियों के जोखिम घटाने का रास्ता तलाशना काफी मुश्किल होता है।
Curcumin Cancer Clinical Trials, इसलिए कोई भी ऐसी जांच जो इन बीमारियों के बारे में शुरुआती चेतावनी सही-सही देती हो या फिर जो इतनी संवेदनशील हो इससे जुड़े जोखिम में हल्के परिवर्तन के बारे में बताती हो काफी अहम होती है। रिसर्च के नतीजे अभी बताते हैं कि कम मात्रा में हल्दी लगातार खाने पर हमारे शरीर में सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता हैं। अभी यह रिसर्च शुरुआती दौर में है लेकिन यह कहा जा सकता है कि हल्दी आपको कई पुरानी बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है। इसलिए भोजन में हल्दी का इस्तेमाल आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।