CPEC Project: पाकिस्तान के कराची में पिछले महीने 3 चीनी नागरिकों की हत्या हो गई थी इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे। पाकिस्तान के सीनियर डिफेंस कमेटी ने यह माना है कि इस हमले के बाद चीन का भरोसा हिल गया है।
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डॉन न्यूज की खबर के मुताबिक डिफेंस कमेटी के चेयरमैन सीनेटर मुशाहिद हुसैन ने कहा है कि अपने नागरिकों और परियोजनाओं की रक्षा करने की पाकिस्तान की क्षमता पर से चीन का विश्वास गंभीर रूप से हिल गया है। सीनेटर मुशाहिद उस प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे जो बीते हफ्ते चीनी दूतावास पहुचा था।
इस प्रतिनिधिमंडल ने कराची यूनिवर्सिटी परिसर में बीते माह हुए आत्मघाती हमले में चीनी नागरिकों की जान जाने पर शोक जाहिर किया था। मुशाहिद चीनी पक्ष के मन में उठते सवालों के बारे में चर्चा कर रहे थे।
कराची यूनिवर्सिटी में हुआ हमला बीते 1 साल के अंदर पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर तीसरा अटैक था। 26 अप्रैल को कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस सेंटर के बाहर आत्मघाती बम धमाके को अंजाम दिया गया था। इसमें तीन चीनी शिक्षकों की मौत हुई थी। इस हमले को उस वक्त अंजाम दिया गया जब शिक्षकों को लेकर जा रही बस कन्फ्यूशियस सेंटर की ओर मुड़ रही थी।
पाकिस्तान के अलगाववादी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
सुरक्षा इंतजामों की आलोचना करते हुए मुशाहिद ने कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे सुरक्षा एजेंसियां सो रही हैं। उन्होंने कहा अगर इस तरह के हमले जारी रहते हैं तो न सिर्फ चीनी बल्कि दूसरे विदेशी निवेशक भी पाकिस्तान में अपनी मौजूदगी पर विचार करने के लिए मजबूर होंगे।
बीजिंग में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आतंकी हमलों कि दोनों देशों के पारस्परिक भरोसे और सहयोग को कमजोर करने की साज़िश सफल नहीं होगी।
चीन की सरकार संबंधित अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कराची हमले के बाद प्रकाशित अपने संपादकीय में कहा है कि
“पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान ने चीनी नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की है लेकिन समस्या के मूल कारणों का निदान किए बिना हमेशा चूक होती रहेगी।”
समाचार एजेंसी एनआईए ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि सीपीईसी यानी C-PEC परियोजना में हो रही देरी की वजह से पाकिस्तान और चीन दोनों ही देशों में हताशा बढ़ रही है खबर के मुताबिक C-PEC के तहत बड़े प्रोजेक्ट्स को फंड मिलने में दिक्कत हो रही है।
खबर के मुताबिक चीन वादे के मुताबिक बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए फंड जारी करने में आनाकानी कर रहा है और चीनी कंपनियों ने भी C-PEC परियोजनाओं के लिए बिजली उत्पादन बंद कर दिया है। यह कंपनियां बकाए के भुगतान की मांग कर रही हैं। C-PEC कर्ज़ पर ऊंची ब्याज दर, कमजोर प्रोजेक्ट और C-PEC बुनियादी ढांचे पर हमले कुछ ऐसे बड़े मुद्दे है इसकी वजह से इस परियोजना के पूरे होने का सपना साकार होता नहीं दिख रहा।
दूसरी ओर पाकिस्तान भी अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा C-PEC परियोजनाओं के कर्ज चुकाने में खर्च कर रहा है। चीन की ओर से कई बड़े प्रोजेक्ट के आखिरी चरण में फंड रोके जाने से भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ रहा है। पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने C-PEC के अधिकारियों के हवाले से दावा किया है कि ग्वादर पोर्ट पर पाकिस्तान ने अभी तक सिर्फ तीन परियोजनाओं को ही पूरा किया है।
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जिसकी लागत 30 करोड़ डॉलर से ज्यादा है वहीं 2 अरब डॉलर के मूल्य वाले दर्जन भर से अधिक परियोजनाएं अभी भी लंबित पड़ी हैं। इनमें पानी की आपूर्ति और बिजली से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल है। खबर में यह भी कहा गया है कि यहां बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरान से बिजली आयात की जा रही है। हैरानी की बात यह है कि इस परियोजना को साल 2017 तक पूरा हो जाना था।