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Covid Effect: कोरोना से ठीक होने के बाद गायब हो गई नींद और तेजी से धड़कने लगी दिल की धड़कन

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कोरोना महामारी चपेट में आने के बाद लोगों को अब कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा समस्या उच्च रक्तचाप और हृदय रोगियों को है। उनमें भले ही हार्ट अटैक का खतरा कम हो गया है। लेकिन अब वह कई तरह की परेशानी सामने खड़ी है। ज्यादातर लोगों की नींद तो गायब ही हो गई है। वही बड़ी संख्या में लोगों की दिल की धड़कन तेज हो गई है। हाथ पैर सुन्न होना और थकावट महसूस होने के लक्षण भी मिल रहे हैं।

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नींद पर क्यों पड़ा है कोरोना का असर

कोरोना महामारी ने बीते सालों में बहुत कुछ बदल कर रख दिया है। और इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। तो वह है हमारी लाइफ स्टाइल जिसका एक महत्वपूर्ण पार्ट है हमारी नींद। इस वायरस ने हमारा स्लीपिंग पैटर्न पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। हालांकि मानसिक चिकित्सा के क्षेत्र में इससे कोरोनोस्मनिया या कोविडसोम्निया जैसे टार्म दिए गए हैं।

आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कैसे बदला हमारा स्लीपिंग पैटर्न

इंस्टीट्यूट आफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेस के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर ओमप्रकाश ने एक स्टडी द लैंसेट न्यूरोलॉजी के बारे में बताया। उनका कहना है कि 2020 में कोरोनावायरस ने चीन से शुरू होकर पूरी दुनिया को अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि इसी समय चीन के 35 साल या उससे कुछ साल अधिक उम्र के 7236 लोगों के स्लिप पैटर्न का अध्ययन किया गया। जिसमें से एक तिहाई लोग हेल्थ केयर वर्कर्स थे। इस अध्ययन में यह पाया गया कि 35 प्रतिशत लोगो में जनरल एंजाइटी तथा 20 प्रतिशत में डिप्रेशन यानी अवसाद व 18 फ़ीसदी खराब नींद के लक्षण पाए गए। इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि महामारी के बारे में उनके अंदर सबसे अधिक चिंता का होना पाया गया। सन् 2020 में नींद की समस्या बढ़ी है। बहुत बड़ी संख्या में लोगों का स्लिप पैटर्न डिस्टर्ब हुआ है। कई देशों की स्टडी सामने आई है कि कोरोना संक्रमण का निर्भर असर पड़ा है। क्वारंटाइन होने की समय से लेकर वित्तीय नुकसान से संबंधित चीजों में भी नींद पर बुरा प्रभाव डाला है। एक यूरोपीय टास्क फोर्स के मुताबिक अनिद्रा के लक्षण मनोसमाजिक कार्यों से सीधे रिलेटेड हो सकते हैं। इटली में 2291 लोगों का सर्वे करने पर यह सामने आया है कि कोरोना काल में 57.1 लोगों को इस दौरान अच्छी साउंड स्लीप नहीं मिली। वहीं पर 32.1 फ़ीसदी में एंजायटी का हाई लेवल रहा। नींद की सबसे ज्यादा समस्या 41.8 फीसदी रही तथा 7.6 प्रतिशत में तनाव के बाद दर्दनाक लक्षण पाए गए।
फिलहाल जैसे ही दुनिया में लॉकडाउन शुरू हुआ। नींद ना आने की समस्या तेजी से बढ़ी आबादी में फैल गई। संक्रमण से अजीब सा डर और चिंता है तो वजह बना ही। साथ ही साथ नौकरी बचाने का तनाव और आर्थिक असुरक्षा सभी ने रात की नींद को खराब करने में इनका सबसे बड़ा योगदान है। हालांकि महामारी पहले जो नींद की समस्या से जूझ रहे थे। उन लोगों में लक्षण और बिगड़ गए। और जो लोग अच्छी नींद लेने वाले थे उन्हें अनिद्रा का अनुभव हुआ।

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स्लीपिंग पैटर्न को सुधारने के तरीके

– नियमित रूप से सोने जागने का शेड्यूल बनाएं। कोशिश करें कि सुबह जल्दी उठे और खुद को किसी रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखें।

– यदि संभव हो तो अपने बिस्तर का उपयोग केवल नींद के लिए करें अथवा दिन के किसी अन्य गतिविधि के लिए ना करें। बिस्तर पर तभी जाए जब आप सामान्य रूप से नींद महसूस करते हो।

– दिन के समय संक्षिप्त समय ले और तनाव वह स्थिति पर विचारों को लिखें तथा तनाव के बारे में बात करें। इन चीजों के बारे में अपनी सोच को सीमित करने का प्रयास करें ताकि रात में यह तनाव आपको कम से कम हो।

– कोशिश करें कि आपकी प्राकृतिक नींद की जरूरतें पूरी करें। यह बात ध्यान में रखें कि नींद भी एक तरह से इम्यूनिटी बूस्ट करने का काम करती है।

– दोस्तों और परिवार के साथ तनाव तथा चिंता की भावनाओं को साझा करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल ना करें। कोशिश करें कि बेडरूम में कोई भी डिवाइस जैसे टेबलेट, लैपटॉप और मोबाइल न ले।

– सबसे जरूरी बात नोटिफिकेशन वह अनुरोध और पोस्ट के लिए जवाब चेक करने के कारण है नींद डिस्टर्ब हो जाती हैं। इसी वजह से बिस्तर पर जाने से पहले डिवाइस को स्विच ऑफ कर दें।

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