Taj Mahal
Taj Mahal के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ”उच्च न्यायालय ने इस याचिका को खारिज करने में किसी भी तरह की गलती नहीं की, जो एक प्रचार हित याचिका है। इसे खारिज किया जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने भारत की धरोहर ताजमहल के इतिहास और उसके परिसर में 22 कमरों को खोलने की जांच कराने की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। और इसे प्रचार हित याचिका भी करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। जिसमें याचिका खारिज की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जिस याचिका को खारिज किया है इसमें उसने कोई गलत काम नहीं किया है। यह एक हित प्रचारित याचिका है।और इसे खारिज किया जाता है। 12 मई को न्यायालय ने कहा था कि याचिकाकर्ता रजनीश सिंह जो भाजपा के अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी हैं।वह इसे इंगित करने में असफल रहे की यह उनके कौन से कानून या संविधान के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
ज्यादा खा लिए हैं,तो यह पीजिए,सब हजम हो जाएगा
22 October- इतिहास में आज का दिन, लॉन्च किया गया था Chandrayaan-1
ऐसे लापरवाह पूर्ण तरीके से जनहित याचिका दायर करने के लिए वकील की भी खिंचाई की और इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार आदेश पारित नहीं किया।अनुच्छेद उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को क्रियान्वित करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण को आदेश जारी करने का अधिकार देता है।
हिंदू संगठनों ने अपने अतीत में यह दावा किया था कि मुगल काल का मकबरा के पहले भगवान शिव का मंदिर था। ताजमहल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के द्वारा संरक्षित मानी जाती है।
याचिका में पौराणिक इतिहास तथा स्मारक और पुरातत्व स्थल तथा अवशेष के अधिनियम 1951और प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल अवश्य अधिनियम 1958 के प्रावधानों को अलग करने का निवेदन किया था। जिसके अंतर्गत कुछ ऐतिहासिक भवन जैसे ताज महल, फतेहपुर सिकरी आगरा का किला, और itmad-ud-daula का मकबरा आदि सम्मिलित थे।