कोरोना के वार से ढहा 50 करोड़ का कारोबार- Corona Update कोरोना के कारण फूलों के कारोबार को बड़ा झटका लगा। क्षेत्र में करीब ₹50 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। इस बार ना किसी के जन्म में यह फूल काम आए और ना किसी के अंतिम यात्रा के साथ ही बन सके।
कोरोना ने इनसे इस कदर दुश्मनी निकाली है कि अधिकतर कारोबारी ने पेश ही बदल लिया है। अब वे मास्क का धंधा शुरू कर चुके हैं ।चंद चेहरे ही ऐसे हैं, जिन्हें ठिठके, ठहरे बाजार में बाहर का इंतजार है।
जिले में करीब 100 किसान ऐसे हैं, जो फूलों की खेती से जुड़े हैं। सरदार नगर में गेंदे की खेती होती है। वही सिक्टैर, उपधौली, सहजनवा क्षेत्र में तमाम किसान ऐसे हैं, जो जरबेरा, डचरोज सहित कई ऐसे फूलों की खेती करते हैं, जिससे बुके तैयार किया जाता है। सिक्टौर के शिवम दत्त मिश्र का कहना है कि उन्होंने करीब 1 एकड़ में जरबेरा वह गुलाब की खेती की है।
लगन के सीजन में रोजाना करीब डेढ़ से दो लाख फूलों की मांग रहती है, लेकिन वह मुश्किल से 2 से ढाई हजार फूल दे पाते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब उन्हें फुल फेकने पड़े हैं। उपधौली मे सेवानिवृत्त न्यायधीश शैलेंद्र कुमार पांडेय करीब 2 एकड़ में फूल के खेती करते हैं। कहते हैं, ऐसा पहली बार हुआ है कि उनके पालीहाउस से एक फूल नहीं बिका। उनका कहना है कि जंगल अयोध्या, सहजनवा, कैंपियरगंज, क्षेत्र में छोटे किसान ने तो नुकसान के चलते फूलों की खेती बंद कर दी है।
नुकसान से टूटता हौसला_ राजकीय उद्यान अधीक्षक बलजीत सिंह कहते हैं कि फूल की खेती के जरिए कम भूमि में भी अच्छी आय अर्जित की जा सकती है। धीरे-धीरे तमाम किसान इस क्षेत्र में बढ़ रहे थे, लेकिन भारी नुकसान के चलते वह आहत है।
मार्च से जुलाई का प्रथम सप्ताह फूलों के कारोबार के लिए मुफीद माना जाता। यह सहालग का समय होता है, लेकिन इस बार यह समय कोरोनावायरस की भेंट चढ गया। फूल कारोबारी गोलघर के सोनू का कहना है कि यहां बुके व सजावट के लिए पुणे, बेंगलुरु, दिल्ली, लखनऊ,से फूल मागाए जाते है,जबकि माला के लिए बनारसी से फूल आते हैं। इस बार तो धंधा ही चौपट हो गया। सिक्टौरके शिवम दत्त मिश्रा का कहना है कि लगान के सीजन में इस बार मुश्किल से 2 से ढाई हजार फूल दे पाए हैं।