Ghulam Nabi Azad: Congress के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सभी पदों से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला किया। जिसके बाद से पार्टी के अन्य बड़े नेताओं के निशाने पर गुलाम नबी आजाद आ चुके हैं। इसके बाद अब मनीष तिवारी ने भी पार्टी को अपना तेवर दिखाया है। उन्होंने यह कहा कि मैं इस पार्टी का किराएदार नहीं, बल्कि सदस्य हूं। इसके साथ ही गुलाम की आलोचना करने वाले नेताओं को भी करारा जवाब दिया है।
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बता दें कि गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि उत्तर भारत के लोग जो हिमालय की चोटी की तरफ रहते हैं। ये जज्बाती, खुद्दार लोग होते हैं। बीते हजार सालों से इनकी तासीर आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ने की रही है। किसी को भी इन लोगों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
उन्होंने आगे यह कहा कि 2 वर्ष पहले हम 23 लोगों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बताया था कि कांग्रेस की परिस्थिति चिंताजनक है। जिस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। कांग्रेस की बगिया को बहुत लोगों, परिवारों ने अपने खून से संजोया है। अगर किसी को कुछ मिला वो खैरात में नहीं मिला है। उन्होंने आगे कहा कि गुलाम नबी आजाद के पत्र के गुण दोष में मैं नहीं जाना चाहता। वो इसके बारे में समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे।
दरअसल वहीं पर मनीष तिवारी पार्टी के नेताओं द्वारा उनके इस्तीफे के बाद से गुलाम नबी आजाद की आलोचना पर एक सवाल के जवाब में यह कहा कि जिस व्यक्ति की हैसियत एक वार्ड चुनाव लड़ने की भी नहीं है। जो व्यक्ति कभी कांग्रेस नेताओं का चपरासी हुआ करता था। वो जब पार्टी के बारे में ज्ञान देते हैं तो ये हंसी का पात्र होता है।
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Ghulam Nabi Azad के इस्तीफे देने के बाद से अब कांग्रेस सांसद ने मनीष तिवारी का समर्थन किया है। इससे पहले भी कांग्रेस सहित कई पार्टियों के नेता इस मुद्दे को लेकर बयान दे चुके हैं। कांग्रेस नेता एवं राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने यह कहा था कि इस्तीफे व चिट्ठी की जो टाइमिंग है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अभी देश एवं कांग्रेस दोनों को ही उनकी जरूरत थी।
वहीं पर अपने इस्तीफे को लेकर खुद Ghulam Nabi Azad ने यह कहा था कि वह कोई राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए अभी जल्दबाजी में नहीं है। लेकिन वहीं पर जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए वो वहां जल्द ही एक इकाई गठित करने का फैसला करने वाले हैं। चूंकि आजाद के इस्तीफे देने पर राजनीतिक हलकों से विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने यह कहा था कि अगर उन्होंने उस वक्त पार्टी छोड़ी होती, जब वो पटरी पर लौट चुकी होती तो ठीक था। लेकिन भंवर के समय उसे छोड़ ना अच्छी बात नहीं है।