Diamonds: दुनिया के 90 परसेंट से ज्यादा हीरों की कटिंग पॉलिशिंग करने वाला सूरत बीते चंद महीनों से प्राकृतिक रफ (Rough) डायमंड की कमी का सामना कर रहा है।
रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से बने हालात से निपटने के लिए शहर की डायमंड इंडस्ट्री ने लैब ग्रोन डायमंड (Lab Grown Diamond) यानी LGD का उत्पादन बढ़ाया है इसके असर से अगले तीन साल में इसका बिज़नेस दोगुना होने का अनुमान है। यानी तीन साल में सूरत का कारोबार बढ़कर 31 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है। जो फिलहाल करीब साढ़े 15 हज़ार करोड़ का है।
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सूरत में 500 से ज्यादा लैब ग्रोन डायमंड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। नतीजतन भारत में दुनिया का करीब 15 फीसदी लैब ग्रोन डायमंड बनाया जाने लगा है हालांकि चीन इस मामले में 56 परसेंट हिस्सेदारी के साथ टॉप पर है। लेकिन भारत की ग्रोथ काफी तेज है और बीते दो से तीन वर्षों में ही भारत में LGD का उत्पादन कुछ हज़ार करोड़ से बढ़कर 30 लाख कैरेट का हो गया है। 2021-22 में भारत से पॉलिश्ड LGD का निर्यात 106 परसेंट बढ़कर 10 हज़ार करोड़ का हो गया।
लैब ग्रोन डायमंड की लोकप्रियता बढ़ने की बड़ी वजह है इनकी कम कीमत। प्राकृतिक हीरो के मुकाबले लैब ग्रोन डायमंड करीब 75 फीसदी सस्ता है। एक कैरेट कुदरती हीरे की कीमत में 2.15 कैरट लैब ग्रोन डायमंड खरीदा जा सकता है। कम कीमत की वजह से 21 से 40 साल की उम्र के लोगों के बीच इन हीरो की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। हालांकि लैब डायमंड हाल के वर्षों में इजाफा नहीं हुए हैं, बल्कि 1950 के दशक से ही दुनिया भर में लैब ग्रोन डायमंड बनाए जा रहे हैं। भारत में इनका उत्पादन 2004 में शुरू हुआ था। जो अब तेजी से बढ़ रहा है।
जेम्स एंड जूलरी इंडस्ट्री के अलावा लैब ग्रोन डायमंड का इस्तेमाल सेमीकंडक्टर, सैटेलाइट और 5जी नेटवर्क जैसी तकनीक में भी होता है। ये सिलिकॉन चिप के मुकाबले में कम पावर में ज्यादा स्पीड से काम कर सकते हैं।
अब डायमन्ड इंडस्ट्री की डिमांड है कि इनको पीएलआई स्कीम में शामिल किया जाए। जिससे इंडस्ट्री 10 लाख रोजगार और 40 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का निर्यात टर्नओवर हासिल कर सकती है।
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पराग अग्रवाल, CEO, फियोना डायमंड्स ने बताया है कि अगले 5 सालो में 1,000 करोड़ के एक्सपोर्ट एक्स्पेक्टड हैं। यह एक बड़ा गेम चेंजर साबित होगा। हमने भी हमारी कंपनी में काफी ग्रोथ एक्सपिरियंस की है और यह सभी के लिए अच्छा होगा क्योंकि इसके कारण लोगो को और भी काम मिल रहा है।
गुज़रती हीरे जमीन के नीचे लाखों साल में बनते हैं, जिनकी माइनिंग की जाती है जबकि LGD लेबोरेटरी में बनाए जाते हैं। ये महज एक से चार हफ्तों में तैयार हो जाते हैं। ऐसे हीरो की बनावट, चमक, कठोरता, रसायनिक संरचना भी कुदरती हीरो जैसी ही होती है।