Black Hole Tragedy
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Black Hole Tragedy : भारतीय इतिहास की ऐसी घटना है जिसे Black Hole Tragedy के नाम से जाना जाता है। इस दौर में एक राजा हुए जिनका नाम नवाब सिराजुद्दौला था । जिन्होंने अंग्रेजों के साथ अत्यंत दर्दनाक घटना को अंजाम दिया। 17 वीं शताब्दी में मुगलों का साम्राज्य भारत में कमजोर पड़ता जा रहा था और शासन की असली शक्ति क्षेत्रीय राजाओं के हाथों में आ रही थी। वहीं विदेशी शक्तियां भी भारत में धीरे-धीरे अपनी जड़े मजबूत करते जा रहे थे ।
Black Hole Tragedy : ब्रिटिश भारत में व्यापार करने की दृष्टि से आए थे और भारत के कई क्षेत्रों में अपना व्यापार बढ़ाना चाहते थे ।ब्रिटिश भारत में 1600 ईसवी में आए थे और 1690 में कोलकाता में अंग्रेजों ने व्यापारिक किले बनवाना भी शुरू कर दिया था। लेकिन जैसे-जैसे अंग्रेज भारत की संसाधनों को और संपन्नता को समझते जा रहे थे उनकी नियत भी समय बीतने पर बिगड़ती ही जा रही थी।
अंग्रेज बंगाल में अपनी जड़ें मजबूत करते जा रहे थे और बंगाल के नवाबों के विरुद्ध किलेबंदी शुरू कर दी। अंग्रेजों की नजर भारत की राजनीतिक सत्ता को हथियाने पर थी। बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों की इस चाल को भाप लिया। सिराजुद्दौला ने कोलकाता के गवर्नर को पत्र द्वारा किलेबंदी पर रोक लगाने की बात कही लेकिन अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला के आदेश को नहीं माना और किलेबंदी का काम जारी रखा और बंगाल के नवाब ने हार नहीं मानी और अपने सैनिकों के साथ कोलकाता की तरफ बड़ा उनके पास हजारों में तैनात थी, सैकड़ों हाथी थे और कई तोपें शामिल थी ।
Black Hole Tragedy : नवाब की सेना ने 16 जून को कोलकाता शहर को चारों तरफ से घेर लिया। अंग्रेजों ने अपनी जान पर खतरा देख कर अंग्रेज गवर्नर और कई सैनिक जहाज़ पर बंदरगाह की तरफ जान बचाकर भाग गए और कुछ अंग्रेज सैनिकों को अंग्रेजों द्वारा बनाए गए किले की सुरक्षा के लिए छोड़कर चले गए।
Black Hole Tragedy : वही जॉनहोलवेल के नेतृत्व में अंग्रेजों ने 170 सैनिकों को किले की रखवाली की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन सिराजुद्दौला की सेना इतनी बड़ी थी कि अंग्रेजों के सैनिक उनके सामने कहीं नहीं टिक पा रहे थे। नवाब सिराजुद्दौला की सेना द्वारा अंग्रेजो के 146 सैनिक बंदी बना दिए गए। जिसमें महिलाएं और बच्चे भी थे। इन सभी को फोर्ट विलियम की ब्लैक होल में कैद रखा गया जो 18 फीट लंबी और 14 फीट चौड़ी एक कोठरी थी। जिसमें दो छोटी-छोटी खिड़कियां थी।
जून की उमस भरी गर्मी थी । अत्यधिक गर्मी के कारण कैदियों का दम घुटने लगा और एक दूसरे पर चढ़कर खिड़की तक पहुंचने का प्रयास करने लगे । थोड़े से पानी के कारण छीना-छपटी और गर्मी मे बेहाल सैनिकों ने दम तोड़ दिया। जिन सैनिकों को इन अंग्रेज कैदियों की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उन्होंने अंग्रेज के दिनों का हाल नवाब को जाकर नहीं सुनाया क्योंकि नवाब साहब सो रहे थे और उन्हें जगाने की हिम्मत या अधिकार किसी को नहीं था।
जब सुबह 6:00 बजे ब्लैक होल का दरवाजा खोला गया तो कमरे में केवल लाशों के ऊपर लाशें थी और 23 कैदियों को बुरी हालत में जिंदा निकाला गया और मरे हुए अंग्रेजो को इकट्ठा बिना किसी रीति-रिवाज के दफना दिया गया। इस कोठरी को ब्लैक होल और इस घटना को Black Hole Tragedy कहा गया।
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इस घटना को विलियम हॉलवेल ने अपनी पुस्तक में विस्तृत रूप में लिखा। विलियम हॉलवेल वही है जो 170 अंग्रेजी सैनिकों का नेतृत्व कर रहा था लेकिन कई इतिहासकारों ने कहा है कि इतने सैनिकों की मृत्यु की बात मिथ्या है । इतनी सैनिकों की मृत्यु नहीं हुई थी जितना विलियम हॉलवेल ने बताया है विलियम हॉल वेल ने इस घटना को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया है। घटना तो हुई थी लेकिन इसमें अंग्रेजों द्वारा ही झूटी मूटी बातें जोड़कर पेश किया। जिससे उन्हें इस बात के आधार पर बंगाल पर आक्रमण करने का मौका मिल जाए। अंग्रेजों ने भारत में साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाई और इसी प्रकार ही वह भारत पर लंबे समय तक शासन कर पाए।