सरकार करोड़ों रुपए में बेच रही है आपके वाहन का रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस की जानकारी,अब तक 87 कम्पनियों ने खरीदा | सरकार ने अपने राजस्व को पूरा करने के लिए हमारे और आपके निजी जानकारी को बेचने का काम शुरू कर दिया है इन दस्तावेजों को बेच कर अपनी राजस्व कि कमी को पूरा करने में लगी है हमारी सरकार |
इसको आप क्या कहेंगे क्या इसको भी आप कहेंगे कि ये लोक कल्याण का कार्य कर रही है इस तरह से दस्तावेजों को बेच कर हमारे और आप की मुश्किल बढ़ा ही रही है, काम तो बिल्कुल नहीं हो रहा है, ऐसे समय में जब करोड़ों करोड़ों रुपए बैंको से चोरी हो जाता है और बैंको में तो सुरक्षा के कितनी साधन होते है तब भी विदेश में बैठा इंसान पैसा निकाल लेता है, हम और आप के पास तो नहीं इतना साधन है और न ही इतना जानकारी तो हम और आप की चिंता तो जायज़ है पर सरकार हमे और आप को और भी चिंता में डाल रही है, सरकार हमारी निजी जानकारी को बेचने का काम शुरू कर दी है |
हाल ही में संसद के ऊपरी सदन में यानी राजसभा प्रश्नकाल के दौरान सड़क परिवहन और राजमार्ग के मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि, सरकार ने राजस्व के कमी के लिए रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस का डाटा बेचना सुरु कर दिया है |
हालाकि सरकार ने इस बारे में कोई जानकारी तो साझा नहीं कि कितने रुपए में बेचा हैं लेकिन इतना जरूर बताया है कि 87 निजी कम्पनी और 32 सरकारी संस्थाओं ने ये डाटा के लिए अब तक 65 करोड़ रुपए में 25 करोड़ वाहनों के रजिस्ट्रेशन और 15 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस को बेचा है |
गड़कारी ने राजसभा में एक जवाब में बताया कि “ब्लक डेटा शेयारिग पालिसी और प्रक्रिया” निजी कंपनियों को डेटा का प्रयोग करने कि अनुमति देता है |
वितिय वर्ष 2019 और 2020 के लिए डेटा मांगने वाली कंपनी के लिए लागत 3 करोड़ होगी और वही शेश्चिक संस्थाओं को “शोध के उद्देश्य और आंतरिक उपयोग” के लिए 5 लाख रुपया में ही डेटा उपलब्ध होगा |
सरकार को ये पता है कि कंपनी अपनी निजी लाभ के लिए हमारे डेटा का प्रयोग करेगी फिर भी सरकार को कोई दिक्कत नहीं है निजी लाभ के लिए वो हमारे डेटा का सही से ही प्रयोग करेगी इसकी क्या गारंटी है ये किसी को नहीं पता है |
आप सोच रहे होगे कि सरकार के पास ये डाटा आता कहाँ से है इसे अपने पास रखने का काम सबसे पहले 2011 में शुरू किया गया और 8 सालो में इसमें भारी मात्रा में डाटा जामा हो गया इसमें वाहन मालिकों और उनके बारे में ढ़ेर सारी जनवारी होती है |
दरअसल सरकार के पास वाहन और सारथी नाम का दो साफ्टवेयर है जिसका प्रयोग वाहनों और ड्राइविंग लाइसेंस का डाटा जामा करने के लिए किया जाता है |
वाहन साफ्टवेयर में वाहनों के रजिस्ट्रेशन, टैक्स, फिटनेस, चालान, परमिट, इत्यादि की जानकारी सेव की जाती है |
सारथी के डेटाबेस में ड्राइविंग लाइसेंस डिटेल्स, चालान जैसी जानकारी होती है |
सविधान भी अरिटिकल 21 में हमारे निजता के अधिकार को देता है और कहता है हर व्यक्ति का अपना एक जीवन होता है और सरकार उस में दखल नहीं दे सकती पर सरकार हमारी निजी जानकारी बेच-बेच कर पैसा कमा रही है और हम आप को मुश्किल में डाल रही है
वीडियो देखे :-