Bhagalpur: आस्था के कई रूप होते हैं और लोग भी इसे विभिन्न तरीके से मानते हैं। आज हम आपको ऐसे ही आस्था के तालाब के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर आसपास रहने वाले लोग अपने घर में होने वाली शादी से पहले उस तालाब को निमंत्रण देने पहुंचते हैं। हम बात कर रहे हैं भागलपुर जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर स्थित जगदीशपुर प्रखंड के कोला नारायणपुर की।
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भारत एक ऐसा ही देश है जहां सनातन धर्म में पेड़ पौधे, नदी तालाब, भूमि, पहाड़ों और जानवर के साथ कई चीजों में आस्था रखने के साथ ही साथ इसे पूजने की परंपरा भी रही है। भारत के प्रत्येक क्षेत्र में आपको आस्था के ऐसे तालाब पड़े मिलेंगे। ऐसे में हम जिस तालाब के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। इसको लेकर भी स्थानीय लोगों की मान्यता यह है कि यहां इस तालाब को किसी भी शादी या फिर शुभ कार्य से पहले निमंत्रण दिया जाता था तथा यहां से प्राप्त बर्तनों से ही शुभ कार्य की शुरुआत होती थी।
भागलपुर जिले से महज 15 किमी की दूरी पर बसे कोला नारायणपुर स्थित एक तालाब को पहले लोग शादी विवाह में निमंत्रण देते हैं तथा उसके बाद से ही शादी की विधि विधान का शुरुआत करते हैं। लोग पोखर को निमंत्रण देने को धर्म के जैसे ही मानते हैं। लगभग एक शताब्दी से इस पोखर को लोग आस्था के रूप में पूज्यते आ रहे हैं। यह कहा जाता है कि इस पोखर से शादी की 1 दिन पहले कांसे के बर्तन लोग पोखर से निकालते थे। कभी विवाह का कार्यक्रम भी प्रारंभ होता था।
हालांकि नई पीढ़ी के लोग इस तालाब को अभी भी नजरअंदाज करते दिख रहे हैं। जहां पहले खुशियों में तालाब भी खुशहाल रहता था। वहां अब सन्नाटा छाया हुआ है यानी कि कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि पुरानी रीति रिवाज तथा धर्म नई पीढ़ी के लोग बदल रहे हैं। जबकि यह पोखर लोगों की मानें तो यहां मनौती मांगने पर लोगों की मनोकामनाएं भी पूर्ण करता है। अब देखना ये होगा कि नई पीढ़ी के लोग इसको लेकर जागरूक इस प्रकार से होते हैं।
बिहार की राजधानी पटना से 220 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर बसा ऐतिहासिक शहर है भागलपुर। क्या आप जानते हैं कि इस शहर का नाम कैसे पड़ा? भागदत्तपुरम का मतलब होता है भाग्य (गुडलक) का शहर। इसी शहर में हिंदी भाषा बोली जाती है तथा जबकि यहां की क्षेत्रीय भाषा अंगिका है। पूरी दुनिया में लगभग 50 मिलियन लोग इस भाषा का प्रयोग करते हैं तथा यह काफी प्रचलित भाषा है।
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बता दें कि भागलपुर को देश के प्रमुख सिल्क उत्पाद के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि इस शहर की जनसंख्या करीब 350000 है। आपको यहां चीनी तथा चावल की खूब मिलें दिख जाएंगी। रामायण तथा महाभारत के सीरियल एवं फिल्मों में अपने भागलपुर शहर को देखा होगा। इस शहर पर कभी राजवंश का शासन भी हुआ करता था जिस के राजा कर्ण थे।
आपको भी अगर पौराणिक कथाएं पसंद है। तो आपने मंदार पर्वत के बारे में जरूर सुना होगा। यहां पर्वत Bhagalpur से दक्षिण की तरफ 52 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदार पर्वत के बारे में एक बहुत ही दिलचस्प पौराणिक कथा भी प्रचलित है। राक्षसों तथा देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान ही इसी पर्वत से मंथन किया गया था। इसी पर्वत पर वासुक नामक सर्प को बांधकर समुद्र मंथन किया गया था जिसके बाद से अमृत की प्राप्ति हुई थी।