beno zephine : यूपीएससी यह परीक्षा एक ऐसी परीक्षा है जिसमें कुछ गिने-चुने अभ्यर्थियों को ही पहले प्रयास में सफलता मिलती है। किंतु, इस बात का यह अर्थ नहीं है कि इस परीक्षा में पहले प्रयास में पास होना ही सफलता का मापदंड है। यूपीएससी परीक्षा की तैयार इसे पास करना, किसी भी अभ्यर्थी के लिए यही एक जंग के समान ही होती है। ऐसे में अगर कोई अभ्यर्थी शारीरिक रूप से असक्षम हो तब तो ये जंग जीतना उसके लिए उतना ही कठिन होता है जितना अंधेरे में सूई में धागा पिरोना। लेकिन अगर इंसान में जुनून हो और नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाने का जज्बा हो तो वह इंसान जीत का परचम लहरा कर सफलता की मिशाल कायम कर जाता है। ठीक ऐसे ही बेनो जेफिन ने अपनी शारीरिक असक्षमता के बावजूद ना सिर्फ इस कठिन परीक्षा की तैयारी की बल्कि इसे पास करके अधिकारी बनकर अपने सपनों को साकार किया है।तो, चलिए जानते हैं कौन हैं बेनो जेफिन,
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beno zephine उस बहादुर लड़की का नाम है जिसकी राह में 100% दृष्टिहीन होना भी बाधक नहीं बना और उसने साल 2014 में यूपीएससी की परीक्षा में 343वीं रैंक हासिल कर एक इंडियन फॉरेन सर्विस अधिकारी बनकर नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। चेन्नई की बेनो जेफिन के पिता रेलवे कर्मचारी है और माता एक हाउसवाइफ हैं। बेनो जेफिन बचपन से ही दृष्टिहीन रहीं थीं लेकिन उसने अपनी इस शारिरिक खामी को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और मजबूत मनोबल के कारण पढ़ाई के सामने कभी भी मुश्किल नहीं आई। बेनो बचपन से ही पढ़ाई में होशियार साथ ही घर में भी उन्हें पढ़ाई को लेकर काफी अच्छा स्पोर्ट मिला था।
beno zephine के परिवार ने उसे पूरा सपोर्ट किया। बेनो का परिवार ही सबसे बड़ी मुश्किल से लड़ने की असल ताकत बना था। बेनो के परिवार ने कभी उन्हें यह एहसास नहीं होने दिया कि उन्हें किसी तरह की कोई खामी भी है। इस बातका बेनो को मोरल स्पोर्ट मिलता रहा और बेनो बिना किसी बात की चिंता किए मन लगा कर पढ़ाई करती रही। बेनो ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा चेन्नई के लिटिल फ्लवर कॉन्वेन्ट हायर सेकेंड्री स्कूल से की थी और उस बाद स्टेला मैरिस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। बेनो ने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन लॉयला कॉलेज से पूरा किया था।
अपनी स्कूल लाइफ से ही बेनो ने सिविल सर्विसिज में जाने का निश्चय कर लिया था। स्कूल के दौरान उन्होंने ब्रेल लिपि में लिखी किताबों को पढ़कर अपनी तैयारी की थी। साथ ही बेनो ने इंटरनेट पर अपने सब्जेक्ट्स को सुनकर सभी विषयों के बारे में जाना और उन्हें समझा। बेनो अगर आज इतिहास रच कर सफलता की इस पहाड को पार कर पाई हैं तो इसका सबसे पहला श्रेय उनके माता पिता को ही जाता है।
beno zephine के माता-पिता ने इस बात का पूरा ख्याल रखा था कि उसे पढ़ते समय इस बात का एहसास नया हो कि उसकी आँखों की रोशनी नहीं है। इसके लिए उन्होंने शुरू से ही अपनी बेटी की बहुत मदद की थी। यूपीएससी की तैयारी के समय बेनो की मां उन्हें अखबार पढ़कर सुनाया करती थीं और उनके पिता उनके लिए ब्रेल लिपी में लिखी गई किताबें खोजकर लाते थे।
अपने मजबूत मनोबल और माता पिता के सहयोग से 25 वर्षीय बेनो ने इतिहास रचा और साल 2013-14 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली थी।यूपीएससी में 343वां रैंक हासिल करने के बाद बेनो को आईएफएस ऑफिसर के पद के लिए चुना गया। वह अपना सपना तो पूरा कर चुकी थीं लेकिन दृष्टिहीन होना उनके लिए ड्यूटी ज्वाइन के लिए बड़ी चुनौती बन गया था।
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beno zephine ने अपनी ड्यूटी ज्वाइनिंग करने के लिए करीब एक साल तक इंतजार किया था। इसके बाद साल 2015 में उनका यह इंतजार खत्म हुआ और उनकी नियुक्ति विदेश मंत्रालय में की गईं। इसके साथ ही बेनो जेफिन देश की पहली ऐसी नेत्रहीन अधिकारी बनीं जिन्हें विदेश विभाग में ये पद हासिल करने का सम्मान मिला।