Bareilly: भारत में वन्य जीवों को अधिनियम 1972 एवं कई अन्य कानूनों के अन्तर्गत संरक्षण प्राप्त है। पर क्या सिर्फ वन्य जीवों को ही हमारे संरक्षण की जरूरत है? वैसे तो हमारे देश में कुत्तों को जहर दिया जाता है। गायों को एसिड से ही जला दिया जाता है एवं पूरे देश में असंख्य जानवरों को हर दिन प्रताड़ित भी किया जाता है। अवारा कुत्तों को देखते ही उन्हें यूंही पत्थर मार देना। गाय तथा सांड के दिखने पर ही उन्हें डंडे से पीटना हमारे देश में आम बात है। वही यूपी के बरेली से मानवता को शर्मसार करने वाला एक और मामला सामने आया है।
जिसमे दो शराबी दोस्तों ने नशे में ही एक कुत्ते के बच्चे का कान काट दिया। तो दूसरे कुत्ते के बच्चे की पूँछ को काटकर अलग कर दी। इस दरिंदगी के पीछे का कारण आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि ये लोग मनुष्य ही है या फिर भेड़िये..?
इस घटना की खबर जैसे ही क्षेत्र में फैली तो हर कोई हैरान था कि कैसे कोई इंसान दो मासूम कुत्ते के बच्चो के साथ ऐसी दरिंदगी भी कर सकता है। इसके साथ ही इस घटना की जानकारी जब गौरक्षक दल के पदाधिकारी सत्यम गौड़ को हुई। तो वो भी तत्काल मौके पर पहुंच गए। उन्होंने यह देखा की कुत्ते के बच्चे लहूलुहान स्थिति में एक रस्सी से बंधे हुए हैं तथा दर्द में चीख रहे हैं। पहले तो उन्होंने तत्काल ही उन बच्चों को रेस्क्यू किया एवं वीडियो भी बना ली। इसके साथ ही उन्होंने लिखित तहरीर देकर पुलिस से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है।
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दरअसल ये पूरा मामला यूपी के Bareilly में फरीदपुर कोतवाली में एसडीएम कॉलोनी के पास का है। पिछले मंगलवार दोपहर लगभग 12 बजे दो शराबी दोस्त, जिसमे से एक का नाम मुकेश बाल्मीकि बताया जा रहा है। उन्होंने मिलकर नशे में कुत्ते के 2 छोटे-छोटे बच्चों के कान व पूँछ चबा डालें। सुनने में ये बड़ा ही अजीब लग रहा होगा, पर इससे भी हैरानी की बात तो ये है कि इन दरिंदो ने महज चखने का इंतेज़ाम न होने के कारण से शराब के साथ कुत्ते के एक पिल्ले के पहले तो कान चबाए एवं जब ये चखना कम पड़ गया तो दूसरे पिल्ले को बांधकर उसकी पूँछ को ही जड़ से उखाड़ दिया।
यह कहा जाता है कि इंसान की जान जब भी खतरे में पड़ती है तो उसका वफादार कुत्ता ही उसे बचाने के लिए अपनी जान पर खेल जाता है। इंसान का अपने सबसे वफादार दोस्त कुत्ते से रिश्ता हजारों वर्ष पुराना है। इंसानों का इतना करीबी होने के वजह से कुत्तों पर अब तक कई वैज्ञानिक रिसर्च भी हुई है। जिनमें यह बात साबित हुई है कि इंसानों का सबसे वफादार दोस्त एक इन्सान नहीं, बल्कि उसका कुत्ता ही होता है। कुत्ते व इंसान के बीच का रिश्ता काफी भावनात्मक भी होता है। उनको भी इंसानों की तरह दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम, टेंशन एवं डर लगता है।
हाल ही में हुई एक ख़ास रिसर्च में यह बताया गया कि अगर आप सोने से पहले ही अपने कुत्ते पर प्यार से हाथ नहीं फेरते है। तो उन्हें अजनबी सा महसूस होने लगता है। जिस कारण से वो अपने आप को अकेला सा महसूस करते है जिसकी वजह से रात भर ढंग से सो नहीं पाते है। इसके साथ ही कुत्ते यह भी सोचने लगते है कि उन्हें उनके मालिक से उतना प्यार नहीं मिल रहा है जितना वो सोच रहे थे।
हालांकि कुत्तों की नींद को लेकर की गई इस रिसर्च के बारे में आपको बताने का उद्देश्य सिर्फ इतना एहसास दिलाना है कि जिस जानवर में इंसानों के लिए इतना प्रेम है। उनके साथ ऐसी दरिंदगी करना गलत है।
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आवारा पशुओं के साथ क्रूरता के अलावा भी पालतू पशु कम क्रूरता के शिकार नहीं होते। उसके साथ कैसा व्यवहार होगा ये उसके मालिक की मनोस्थिति पर निर्भर ही होता है तथा उनके द्वारा घर में नुकसान पहुंचाए जाने पर उनके साथ भी क्रूरता आम बात है। मुंबई और देश के अन्य बड़े शहरों में आजकल आप भी आमतौर पर ऊंची नस्ल के कुत्ते यहां-वहां घूमते देख सकते हैं।
ये उन्हें शौक से पालने के लिए लाने के बाद से उन्हें घर से बाहर निकाल देने का परिणाम ही है। घर के सुरक्षित वातावरण में पले-बढ़े कुत्ते जैसे पालतू पशु बाहर के वातावरण में भी अपने आप को एडजस्ट नहीं कर पाते। उनकी मौत भी ऐसी परिस्थितियों में होती है। ये भी जानवरों के प्रति क्रूरता का ही एक प्रकार है।
इसका कारण ये है कि जानवरों के प्रति क्रूरता (रोकथाम) अधिनियम 1960 के अन्तर्गत पहले अपराध के लिए सिर्फ 50 रुपए का जुर्माना है। ऐसे में प्राणियों को प्रताड़ित करने वाले यह सोचते हैं कि वो जघन्य अपराध करके आसानी से बचकर निकल सकते हैं। लेकिन सच ये नहीं है। जानवरों के खिलाफ किए गए अपराध के अन्तर्गत प्राय: भारतीय दंड संहिता की धारा 429 का भी उल्लंघन होता है। जिसके अंतर्गत कैद की सजा का भी प्रावधान है। इसके अन्तर्गत पांच साल तक की कैद, जुर्माना तथा दोनों सुनाए जा सकते हैं। कई अन्य कानून में भी ऐसे मामले में लागू होते हैं।