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India: कार के लिए अक्सर हाई-वोल्टेज बैटरी की जरूरत होती है और उसकी लाइफ एक निश्चित समय के बाद कार के लिए सही नहीं रहती. इसी वजह से इस स्टार्टअप कंपनी ने इन बैटरी को दूसरा जीवन देने का रास्ता खोज निकाला और इन्हें ई-रिक्शा में इस्तेमाल करने का उम्दा प्रयोग किया.
India ‘जुगाड़’ करने के मामले में भारतीयों को पूरी दुनिया में कोई टक्कर नहीं दे पाता है. यहां के लोग कभी स्कूटर के इंजन से आटा चक्की बना देते हैं, तो कभी कभी लालटेन से रनवे को रोशन करके विमान की लैंडिंग भी करवा देते हैं. अब जब देश में स्टार्टअप की बेहद अच्छी लहर चल रही है, तो एक स्टार्टअप कंपनी ने ऐसे ही एक ‘जुगाड़ू’ आइडिया को ही जबरदस्त बिजनेस मॉडल बना लिया है. ये स्टार्टअप पुरानी बैटरियों को दोबारा से इस्तेमाल करने लायक बनाता है,
इससे दो तरह के फायदे होते हैं। पहला ये कि बैटरी से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करता है और दूसरा बैटरी के रिसाइकिल (Recycle) से उसके इस्तेमाल की लागत को भी कम करता है.
बैटरी की री-यूज (Re Use) की दुनिया में जर्मन-इंडियन स्टार्टअप कंपनी Nunam ने एक बहुत ही अनोखा प्रयोग किया. जब हर जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर क्रेज तेजी से बढ़ रहा है, तब कंपनी ने इलेक्ट्रिक कार की पुरानी बैटरियों के फिर से इस्तेमाल करने का एक बेहद नायाब तरीका निकाला है. इस स्टार्टअप ने Audi की इलेक्ट्र्रिक कारों की पुरानी बैटरी से चलाएं जाने वाले ई-रिक्शे बनाए हैं और अब इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इंडियन मार्केट में टेस्टिंग के लिए भेजा जाना है. Nunam स्टार्टअप बर्लिन और बेंगलुरू से ऑपरेट करती है. कंपनी के इस प्रकार के प्रोजेक्ट को खुद Audi ने भी मदद की है.
अभी हमारे देश में जो भी इलेक्ट्रिक रिक्शा उपलब्ध हैं, वो सभी लेड-एसिड की बैटरी से चलते हैं. इनकी लाइफ बहुत ही कम होती है और खराब हो जाने के बाद इनका निस्तारण भी ठीक से नहीं हो पाता है. इसलिए इस कंपनी ने Audi की बैटरी से चलने वाले इन सभी ई-रिक्शा की बैटरी को चार्ज करने के लिए सोलर चार्जर सिस्टम बनाया है.
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इन ई-रिक्शों को Nunam ने Audi के साथ मिलकर ही तैयार किया है. इसके लिए Audi की e-tron सीरीज की बैटरी का उपयोग किया गया है. Nunam के co founder प्रदीप चटर्जी का बताना है कि कार को चलाने के लिए हाई-वोल्टेज बैटरी की आवश्यकता होती है और एक निश्चित समय के बाद उसकी लाइफ कार के लिए सही नहीं रह जाती. इसलिए Nunam ने इन बैटरी को दूसरा जीवन देने का रास्ता खोज निकाला है और इस पायलट प्रोजेक्ट से ये देखना चाहा कि क्या इन बैटरी को ई-रिक्शों में दोबारा उपयोग किया जा सकता है या नहीं
इससे पहले Nunam मोबाइल, लैपटॉप की पुरानी बैटरियों से चलने वाली इलेक्ट्रिक लाइट भी बना चुकी है, जिसका प्रयोग रेहड़ी-पटरी वाले काफी आसानी से कर सकते हैं.