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International Translation Day 2021: जाने मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस, कब हुई थी इसकी शुरुआत?

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आज के समय में सभी को हर एक भाषा का ज्ञान हो यह तो संभव नहीं है। लेकिन हम हर भाषा को अनुवाद के माध्यम से सरलता से अपनी भाषा में समझ सकते हैं। विश्व भर में आज अनुवाद दिवस मनाया जा रहा है। उद्देश्य अनुवाद के बारे में जागरूकता फैलाना है। ताकि उन भाषाओं के बारे में जागरूकता लाई जा सके जो हमारे समाज के विषय में विशेष भूमिका निभाती है। इस दिन उन्हें भाषा पेशेवरों के काम के लिए सम्मान दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे का अर्थ भाषा पर स्वरों के काम के लिए सम्मान देने का एक अवसर है। जो राष्ट्र को एक साथ लाने, समझ, संवाद और सहयोग को सुविधाजनक बनाने, विकास में योगदान देने, विश्वशांति तथा सुरक्षा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

शुरुआत कब और कैसे हुई?

हर साल 30 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस ‘सेंट जेरोम’ के पर्व पर मनाया जाता है। जो कि एक बाइबल अनुवादक है। जिन्हें अनुवादकों के संरक्षण संत के रूप में भी जाना जाता है। विश्व में अनुवाद समुदाय की एकजुटता दिखाने के लिए एफआईटी द्वारा एक अनुमोदित मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस का उद्देश्य वर्ष 1991 में शुरू किया गया था। सन् 1953 में इंटरनेशनल फेडरेशन आफ ट्रांसलेटर्स की स्थापना हुई थी। एफटीआई ने वर्ष 1991 में पूरे विश्व में अनुवाद समुदाय की पहचान को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे मनाने की शुरुआत की।

क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 मई सन् 2017 को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में 30 सितंबर को घोषित करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। इसका महत्व एक दूसरे से जुड़ने वाले राष्ट्रों में पेशेवर अनुवाद की भूमिका को पहचानना तथा उसकी सराहना करना है। दुनिया भर में यह दिन अनुवाद किस समुदाय के लिए एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए ही मनाया जाता है। यह विभिन्न देशों में अनुवाद के पेशे को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। आज प्रगतिशील वैश्वीकरण के समय में अनुवाद दुनिया भर के सभी देशों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता बन गया है।

संबंधित संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधान

– अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) सभी नागरिकों को अपने भाषा के संरक्षण का अधिकार देता है तथा भाषा के आधार पर ही भेदभाव को रोकता है।

– अनुच्छेद 120 (संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा) संसद की कार्यवाहीओं के लिए हिंदी या फिर अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन संसद सदस्यों को अपनी मातृभाषा में स्वयं को व्यक्त करने का राइट्स है।

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