Amit Shah ने संसदीय राजभाषा की समिति की बैठक में कहा- अंग्रेजी विकल्प के रूप में ही होना चाहिए

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Amit Shah: केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में संसदीय राज्य सभा समिति की सदस्य बैठक की अध्यक्षता की है। इस बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र तथा निशिथ प्रमाणिक, संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष भृर्तहरि महताब समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। इसी अवसर पर भी मंत्री ने समिति सदस्यों की सर्वसम्मति से प्रतिवेदन के गृह में खंड को प्रेसिडेंट (राष्ट्रपति) के पास भेजने को मंजूरी दी।

Amit Shah ने यह कहा कि मौजूदा राजभाषा समिति जिस गति से काम कर रही है। इससे पहले शायद ही कभी इसने इस गति से काम किया हुआ हो। उन्होंने यह कहा कि एक ही समिति के कालखंड में 3 रिपोर्ट राष्ट्रपति के पास भेजा जाना सब की एक बड़ी साझा उपलब्धि है।

गृह मंत्री ने तीन प्रमुख बिंदुओं पर जोर देने का आग्रह किया

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गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने तीन प्रमुख बिंदुओं पर जोर देने का आग्रह किया। इसमें से समिति प्रतिवेदन के पहले से 11वें खंड तक की गई अनुशंसाओं के कार्यान्वयन के लिए जुलाई में एक बैठक आयोजित करने का भी अनुरोध किया। अमित शाह ने यह कहा है कि बैठक में राजभाषा सचिव खंडवा प्रतिवेदन पर अमल के बारे में सदस्यों को भी जानकारी दें। दूसरी बिंदु के तहत नौवी कक्षा तक के छात्रों को हिंदी की प्राथमिकता जानकारी देने तथा हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया। तीसरे बिंदु के तहत केंद्रीय गृह मंत्री ने हिंदी शब्दकोश को नया बनाकर फिर से प्रकाशित करने का सुझाव दिया।

Amit Shah ने कहा- हिंदी का महत्व निश्चित तौर पर बनेगा


केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने यह भी कहा है कि राजभाषा समिति के पहले से 11वें खंड की सिफारिशों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा के लिए सारे संबंधित सचिवों के साथ बैठकर सिफारिशों को लागू करने के लिए एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया जाना चाहिए। हालांकि राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह ने यह कहा है कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने यह तय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है तथा इससे हिंदी का महत्व निश्चित तौर पर बढ़ेगा।

Amit Shah ने आगे कहा…


Amit Shah ने यह भी कहा कि अब राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाने का समय आ गया है। इसके साथ ही अन्य भाषा वाले राज्यों के नागरिक जब आपस में संवाद करें तो वह भारत की ही भाषा में हो। शाह ने यह भी कहा है कि हिंदी की स्वीकार्यता स्थानीय भाषाओं की नहीं बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं से शब्दों को स्वीकार कर हिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे। तब तक इसका प्रचार-प्रसार नहीं हो पाएगा।


केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने सदस्यों को यह जानकारी दी कि अब कैबिनेट का 70 फ़ीसदी एजेंडा हिंदी में ही तैयार होता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में 22000 हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर की आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपीयों को देवनागरी में कर लिया है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर की सभी आठों राज्य में सहमति से स्कूल में दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य कर दिया है।

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हिंदी में बात करें अन्य भाषा वाले राज्यों के लोग


मंत्री ने यह भी कहा है कि अन्य भाषा वाले राज्यों के नागरिक जब आपस में बातचीत करे तो वो भारत की ही भाषा में हो। अमित शाह ने महत्वपूर्ण तीन बिंदुओं पर जोड़ दिया। उन्होंने यह कहा कि समिति से इसकी रिपोर्ट के प्रथम से लेकर 11वें खंड में की गई सिफारिशों को लागू करने के लिए जुलाई में एक बैठक करने का भी आग्रह किया गया है। हालांकि दूसरे बिंदु के अंतर्गत नवी कक्षा तक के छात्रों को हिंदी का प्रारंभिक ज्ञान प्रदान करने पर जोर दिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि तीसरे बिंदु के अंतर्गत गृह मंत्री ने हिंदी शब्दकोश की समीक्षा कर इसे पुनः प्रकाशित करने का सुझाव दिया है। अमित शाह ने इस अवसर पर समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड को राष्ट्रपति के पास आम समस्या भेजने को मंजूरी दी।



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