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Asia की तरफ आ रहा अमरीका, भारत की तरफ बढ़ रहा ऑस्ट्रेलिया, ऐसे बनेगा पृथ्वी पर नया महादेश

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Asia: प्रकृति अपने अनुरूप काम करती है और प्रकृति पर किसी का जोर नहीं है। वैज्ञानिकों ने यह है बताया कि पृथ्वी अपनी गति से आगे बढ़ रही है तथा नया आकार ले रही है। वैज्ञानिकों ने जो Research किया है उसमें यह पता लगा है कि अभी दुनियां किस आकार में है। आने वाले सैकड़ों वर्ष में उसकी स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी तथा अभी जो नक्शा, हम और आप देखते हैं वह इतिहास बन जाएगा।

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दुनिया तेजी से बदल रही हैं

वैज्ञानिकों ने यह कहा कि अगले 20 करोड़ से 30 करोड़ वर्ष में आर्कटिक महासागर एवं कैरेबियन सागर गायब हो जाएंगे। यानी की धरती से इन दोनों महासागरों का अस्तित्व ही पूरी तरह से मिट जाएगा तथा एशिया एवं अमेरिका आपस में मिल जाएंगे। चूंकि जब अमेरिका और एशिया मिलेंगे उससे पहले ही दोनों महाद्वीपों के बीच एक भारी टक्कर होगी। जिसके बाद से धरती पर एक नए सुपर दीप का निर्माण होगा। जिसका नाम वैज्ञानिकों ने “अमासिया” रखा है। वैज्ञानिकों ने यह कहा कि Asia एवं अमेरिका के बीच जो टक्कर होगी। उससे अमासिया नाम का एक नया Supercontinent (सुपरकॉन्टिनेंट) बन जाएगा।

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प्रशांत महासागर सिकुड़ रहा है

ऑस्ट्रेलिया में कर्टिन यूनिवर्सिटी एवं चीन में पेकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह कहा कि प्रशांत महासागर धीरे-धीरे लेकिन लगातार हर वर्ष लगभग 1 इंच सिकुड़ रहा है। इसीलिए किसी बिंदु पर शायद 20 करोड़ से 30 करोड़ वर्ष बाद से उनका मानना यह है कि पृथ्वी के भूभाग एक साथ आएंगे तथा अमेरिका एवं Asia एक नया सुपरकॉन्टिनेंट बनाने के लिए टकराएंगे, जिसका नाम होगा अमासिया। नेशनल साइंस रिव्यू जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ चुआन हुआंग ने बताया कि बीते 2 अरब वर्षों में देखा गया है कि पृथ्वी के महाद्वीप हर 60 करोड़ वर्षों के बाद से एक नया सुपरकॉन्टिनेंट चक्र के रूप में जाना जाता है।

इसका मतलब यह है कि वर्तमान महाद्वीप कुछ करोड़ वर्षों के बाद फिर से एक साथ आने वाले हैं। वैज्ञानिकों का यह रिसर्च नेशनल साइंस रिव्यू जनरल में प्रकाशित हुआ है।

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महादेश पृथ्वी पर कैसे बने?

शोधकर्ताओं ने समझाते हुए यह बताया कि पृथ्वी के सुपरकॉन्टिनेंट दो अलग-अलग तरीके से बने हैं। एक इंट्रोवर्जन से तो वहीं पर दूसरा एक्ट्रोवर्जन से। उन्होंने यह कहा कि पिछले सुपरकॉन्टिनेंट के टूटने के कारण से महासागरों के निर्माण हुए। तो बाद में सुपरकॉन्टिनेंट के मिलने के कारण से महासागरों के निर्माण हुए। हालांकि शोधकर्ताओं की टीम ने अब सुपर कंप्यूटर का यूज करके पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटो का अनुकरण करके इस बात को साबित करने की कोशिश की है कि अगले 30 करोड़ वर्षों में प्रशांत महासागर महादेश अमासिया का निर्माण होगा।

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अमेरिका और Asia के टक्कर से क्या होगा?

चीनी वैज्ञानिक हुआंग ने यह कहा कि इन टक्करों के कारण से बनने वाले नए सुपरकॉन्टिनेंट का नाम पहले से ही अमासिया दिया गया है। क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि जब अमेरिका अपनी जगह से हटकर एशिया से आकर टकराएगा। तो प्रशांत महासागर का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। वहीं पर अटलांटिक महासागर एवं हिंद महासागर मौजूद रहेंगे। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस दौरान पृथ्वी पर हो रहे महत्वपूर्ण बदलाव में आस्ट्रेलिया भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

हालांकि इस दौरान आस्ट्रेलिया महाद्वीप पहले एशिया से टकराएगा एवं फिर दूसरी तरफ से अमेरिका भी Asia में मिल चुका होगा। फिर आस्ट्रेलिया भी एशिया एवं अमेरिका से मिल जाएगा तथा प्रशांत महासागर बंद हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने यह कहा कि विशेषज्ञों का यह मानना है कि नया सुपरकॉन्टिनेंट पृथ्वी के शिर्ष पर बनेगा तथा अंततः भूमध्य रेखा की तरफ दक्षिण की ओर खिसक जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो अंटार्कटिक दुनिया के निचले हिस्से में एकदम अलग-थलग पड़ सकता है।

रफ्तार क्या है आस्ट्रेलिया के खिसकने की?

शोधकर्ताओं की टीम ने यह पता लगाया है कि आस्ट्रेलिया पहले से ही करीब 7 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष की दर से एशिया की तरफ बढ़ रहा है। जबकि यूरेशिया और अमेरिका धीमी गति से प्रशांत महासागर की ओर बढ़ रहे हैं। अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह भविष्यवाणी की है कि नए सुपरकॉन्टिनेंट के गठन के साथ हमारी पृथ्वी अभी जो दिखती है। उससे एकदम पूरी तरह से अलग हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पृथ्वी में व्यापक रूप से अलग-अलग परिस्थिति तंत्र तथा मानव संस्कृतियों के साथ सात महाद्वीप हैं। इसलिए ये सोचना आकर्षक होगा कि 20 करोड़ वर्षों केेे बाद या 30 करोड़ वर्षों के बाद हमारी पृथ्वी किस प्रकार दिखेगी।

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