US Attack 9/11: अमेरिका में हुए 11 सितंबर को आतंकी हमले ने न सिर्फ पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। बल्कि इसने आतंकवाद को लेकर नजरिए को भी पूरी तरह से ही बदल दिया। मुट्ठीभर आतंकियों ने सदी के सबसे ताकतवर मूल के सीने पर चढ़कर कोहराम की दास्तान लिखी थी। ऐसी दर्दनाक दास्तान जो आज 20 सालों के बाद भी उसके लिए जख्मों की शिनाख्त हो रही है। हालांकिकि हमले के गुनाहगार अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने उसके अंजाम तक पहुंचा दिया है। लेकिन सवाल और दर्द आज भी हरे के हरे हैं। आज भी यह सवाल उठता है कि क्या ये हमला अमेरिका खुफिया एजेंसी के आपसी रस्साकशी के चलते हुआ था? और आज भी ये सवाल उठते हैं कि क्या यह हमला तत्कालीन बुश प्रशासन की नाकामी थी? या अमेरिका में घुसकर बाहर से आए 19 आतंकवादियों ने कैसे उसके ही चार विमानों को हाईजैक कर दुनिया की सबसे सुरक्षित गगनचुंबी इमारतों को ध्वस्त कर धुंआ धुंआ कर दिया था? ऐसे और कई सवाल हैं जिनके सवालों को लेकर दुनिया भर में चर्चा हुई है। तथा उनके जवाब भी वक्त के साथ-साथ आते रहे हैं।
सुबह 8 बजकर 46 मिनट पर अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर नॉर्थ टावर पर अमेरिकन एयरलाइंस का विमान 11 टकराया कराया था। इसके ठीक 16 मिनट के बाद 9 बजकर 2 मिनट पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के साउथ टावर पर यूनाइटेड एयरलाइंस का विमान 175 टकराया। ऐसे ही दोनों विमानों के टकराने के बाद डब्ल्यूटीसी आसमान छूती इमारत जमींदोज हो गई। इन तबाही के तस्वीरों को टीवी तथा रेडियो पर प्रसारित किया जा रहा था कि 9:37 पर अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 77 ने वर्जीनिया में पेंटागन को निशाना बनाया। तथा 10:03 पर यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट 93 पेंसिल्वेनिया के शंक्सविले के एक खेत में जाकर गिरी थी। इसी तरह से अलकायदा के 19 आतंकियों ने चार विमानों को हाईजैक कर अमेरिका को दहला दिया था। करीब 3000 लोगों की जान इन आत्मघाती हम अल्वारो ने ले ली। हालांकि इसमें से 17 आतंकवादी वो थे। जिसका वास्ता अलग-अलग खाड़ी के देशों से था। इनमें से ज्यादातर आतंकवादी वो थे। जिनको इंग्लिश तक बोलने नहीं आता था।
20 सितंबर 2011 को 9/11 हमले के 9 दिन बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्यू ने आतंक के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया। बुश का कहना था कि टंकी के खिलाफ हमारी लड़ाई अल-कायदा से ही शुरू होती है। लेकिन यह खत्म नहीं होगी। और यह लड़ाई तब तक खत्म नहीं होगी। जब तक कि दुनिया में हर आतंकी संगठन का पता नहीं लगा लिया जाता है। उन्हें रोका नहीं जाता तथा हराया नहीं जाता।
26/11 के बाद भारत में नेटग्रिड, सीएमएस तथा नेत्रा जैसे निगरानी कार्यक्रम शुरू किए गए। तथा लोगों की हर छोटी से छोटी गतिविधियों पर इनके जरिए ही नजर रखी जा सकती है। भारत में तो विदेशी प्राइवेट कंपनी स्पाइवेयर की पेगासस के जरिए गुप्त ऑपरेशन चलाए जाने के लिए आरोप लग चुके हैं। चूंकि प्रिवेसी के मूलभूत अधिकारियों के बावजूद भी ऐसे ही निगरानी को लेकर जनता में बहुत ज्यादा प्रतिरोध और रोष देखने को नहीं मिलता है।