बदलती जलवायु और गड़बड़ाई पारिस्थितिकी तंत्र से हमारे बहुत से जीवधारी संकट में है और बहुत से जीवधारी विलुप्त हो गए हैं । पिग्मी हॉग भी विलुप्त होने वाले जीवो में से एक है। हाल ही में नेशनल ज्योग्राफिक के द्वारा दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व का सबसे छोटा और सबसे हल्का सूअर जिसे ब्लॉक से समझा जा रहा था वह अब असम में रिवाइवल की स्टेज में है और इसके लिए असम में पिग्मी हॉग कंजर्वेशन प्रोग्राम भी किया जा रहा है जिसकी प्रशासन नेशनल ज्योग्राफिक ने हाल ही की अपनी रिपोर्ट में की है।
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जिगनी भाग दुनिया का सबसे छोटा जंगली सूअर है जिस का वैज्ञानिक नाम Porcula Salvania है दुनिया के सबसे छोटे सूअर पिग्मी हॉग का वजन केवल 8 किलोग्राम होता है और यह प्रजाति वर्ष भर घोंसला बनाता है यह इसकी महत्वपूर्ण विशेषता है कि यह सूअर घोंसला बनाता रहता है यह घास भूमि आवासों प्रबंधन स्थिति के सबसे निकट महत्वपूर्ण संकेतको में से एक हैं ।ऐसी घास भूमिया जहां पिग्मी हॉग रहते हैं कुछ अन्य संकटापन्न प्रजातियों के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होती हैं। जैसे भारतीय गैड़े जंगली भैंसे ,दलदली हिरण ,हेयर ,बंगाल फ्योरेकन, daldali francolin कुछ दुर्लभ कछुए और टेरापिंस।
वर्ष 1996 में असम में पिग्मी हॉग की प्रजातियों के लिए एक कैपटिव ब्रीडिंग प्रोग्राम शुरू किया गया था प्रोग्राम से तात्पर्य प्राकृतिक पर्यावरण से अलग किसी अन्य स्थान पर चिड़ियाघर में प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया गया था। सन 2009 में असम के सोनाई रूपई चित्र में पुनः लाया गया और इसके पूर्व में दक्षिणी हिमालय पर पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता था लेकिन अब यह मानस वन्य जीव अभ्यारण में खासतौर पर स्थित है। पिग्मी हॉग वर्तमान में घास भूमियों के डिग्रेडेशन शुष्क मौसम में घास भूमियों को जलाने, पशुओं की चढ़ाई और घास भूमियों की कटाई शिकारबाड़ी जख्म आने की बाढ़ नियंत्रण योजनाओं के खतरों का सामना कर रही हैं ।
IUCN ने संकटापन्न रेट लिस्ट में पिग्मी हॉग को भी शामिल किया है आईयूसीएन के मुताबिक यह प्रजाति नेपाल बांग्लादेश में क्षेत्रीय स्तर पर विलुप्त हो चुकी है। वर्तमान में ओरंग राष्ट्रीय उद्यान से वारंगा घास ल लगाकर कर पिग्मी हॉग के अनुकूल आवास बनाने की तैयारी चल रही है लेकर