भिक्षावृत्ति : बिना परिश्रम धन कमाना  या मजबूरी

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भिक्षा मांगना अभी वर्तमान में ही शुरू नहीं हुआ है । भिक्षा मांगना प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। प्राचीन काल में भिक्षा मांगना एक बड़ा ही सम्मान जनक कार्य माना जाता था। साधु भिक्षा मांगने आते थे तो उन्हें बड़े सम्मान से भिक्षा दिया जाता था। और भिक्षा मांगना एक अच्छा कार्य था।

गौतम बुद्ध अपना राजकाज छोड़कर बौद्ध भिक्षु बन गए तो उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखित है और उन्हें एशिया का प्रकाश कहते हैं। ऐसे ही कई जैन और बौद्ध भिक्षु हुए हैं जिन्हें आज भी बड़ा सम्मान दिया जाता है।

माता सीता के पास रावण साधु का भेष रखकर भिक्षा मांगने आया था। रावण ने साधु के वेश में सीता माता से कहा कि यदि वह भिक्षा देना चाहती है तो रेखा को पार करना होगा तो सीता माता ने भिक्षा देने के लिए अपने रक्षा हेतु खींची गई रेखा को भी पार कर लिया था।

प्राचीन काल में भिक्षा को बड़ा ही सम्मान देकर दिया जाता था लेकिन वर्तमान में यह भिक्षा सामाजिक बुराई है। और भिक्षा कई अपराधों को जन्म देती है।

भिक्षावृत्ति मोटे तौर पर दो प्रकार की होते हैं:-
1:–   इच्छा से भिक्षा मांगना
2:– अनिच्छा से भिक्षा मांगना

कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो कोई मजबूरी ना होते हुए भी परिश्रम ना करने के लिए भिक्षा मांगने का रास्ता अपनाते हैं।  आलसी ,कामचोर और निकम्मे लोग भिक्षा मांगने के लिए कई प्रकार के रास्ते खोजते हैं। कभी ये लोग साधु के भेष में घर घर जाकर भी मांगते हैं। कभी सपेरों के भेष में घर घर जाकर बीन बजा पर भीख मांगते हैं। और कभी किसी रेलवे स्टेशन और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ऐसे लोग मिल जाते हैं कि वह वेशभूषा से बहुत बड़े घर के लगते हैं लेकिन वह दरअसल एक प्रकार का भीख मंगवाने का तरीका है वह कहते हैं कि उनका पर्स चोरी हो गया है और उन्हें एग्जाम देने जाना है कृपया मुझे कुछ पैसों की मदद कर दें आप मुझे अपना अकाउंट नंबर और मोबाइल नंबर दे दे तो मैं आपको आपके पैसे पहुंचा दूंगा। दरअसल यह लोग बिना मेहनत के पैसे कमाते हैं।

कुछ लोग अपनी शारीरिक अपंगता का प्रदर्शन करके भिक्षा मांगते हैं।और इनमें से कुछ अपंग होते हैं और कुछ इसका केवल भीख मांगने के लिए दिखावा करते हैं। भारत में ऐसे स्टेशनों पर बहुत से लोग मिल जाएंगे जो भीख मांगने के लिए लंगड़े होने की एक्टिंग करते हैं और घर जाने का टाइम होते ही लंगड़ाना छोड़कर दौड़ कर चले जाते हैं।

अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जोड़ने के बहाने से कुछ लोग भीख मांगते हैं दरअसल उनकी कोई बेटी होती ही नहीं है लेकिन वह कई सालों से भीख मांगने का ही काम कर रहे हैं और हर बार ट्रेन में बेटी की शादी के लिए चंदा इकट्ठा करने के बहाने से भीख मांगते मिल जाते हैं।

और यही लोग ट्रेन में यात्रियों का सामान चुराने और मोबाइल ,नगदी चुराने, जेब काटने का काम करते हैं।

अनिच्छा से भिक्षा मांगने वाले लोग बहुत ही दयनीय स्थिति में रहते हैं। यह लोग भीख मांगने के अलावा कुछ काम करने में असमर्थ रहते हैं। अत्यधिक बूढ़े लोग जो शारीरिक दुर्बलता के कारण कुछ काम करने में असमर्थ होते हैं इससे वह भिक्षावृत्ति की ओर उन्मुख हो जाते हैं।

बीमारी से ग्रस्त लोग भिक्षावृत्ति के काले अंधेरे में खो जाते हैं। ऐसे लोग कुछ भी काम करने में असमर्थ होते हैं और कोई ऐसे लोगों को काम पर नहीं रखता। इसलिए ऐसे लोग अपनी पेट की आग को शांत करने के लिए भिक्षा मांगने का रास्ता अपनाते हैं।

भिक्षावृत्ति से अपराध को बढ़ावा मिलता है मानव तस्करी ,चोरी, वेश्यावृत्ति आदि अपराधों को बढ़ावा मिलता है। भिक्षावृत्ति गिरोह कई बार पकड़ा गया है इसमें बच्चों को डरा धमका कर या उनके जींभ, कान हाथ पैर आदि अंगों को काटकर और आंखें फोड़ कर उन्हें भीख मंगवाने के लिए छोड़ दिया जाता है। बच्चों को नशे का आदी बनाया जाता है जिससे वह नशे के बदले बीच में मंगाए गए सारे पैसे उन्हें दे।

कई भिक्षा मांगने बाले गिरोह का यह पैतृक धंधा होता है जिसमें बड़े बूढ़ों से लगाकर बच्चों तक से भीख मांगने का काम करते हैं और वह इसी में खुश हैं।

रेलवे स्टेशन पर खो जाने वाले बच्चों के हाथ पैर काट कर या उनकी आंखें फोड़ कर केवल जीने लायक खाना देकर उन्हें केवल भीख मंगवाने के लिए पाल लिया जाता है।

भारत को भिखारियों का देश कहा जाता है। लेकिन केवल भारत में ही भिखारियों की संख्या नहीं है विदेशों में भी भिखारी भीख मांगते हुए देखे जा सकते हैं।लेकिन भारत में भिखारियों की बड़ी ही दयनीय स्थिति देखी जा सकती है कभी मंदिरों पर लाइन लगाकर भिखारी बैठे रहते हैं और बहुत से भिखारी भीड़भाड़ वाले स्थानों पर भीख मांगने के लिए बैठे रहते हैं। 2017 में भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करने वाली कानून को दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉम्बे प्रीवेंशन ऑफ वैगिंग एक्ट 1959 की 25 धाराओं को समाप्त कर दिया है साथ ही व्यक्ति के अपराधीकरण को असंवैधानिक करार दिया है। यह कानून भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करता है। सरकार ने भिक्षावृत्ति के निवारण हेतु निम्नलिखित प्रयास किए हैं:-

22 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने भिक्षावृत्ति के निवारण हेतु नियम बनाए हैं।

उत्तर प्रदेश में म्युनिसिपालिटी एक्ट द्वारा भिक्षावृत्ति निवारण बनाया है।

पंजाब हरियाणा में भिक्षावृत्ति निरोधक अधिनियम 1971 लागू है।

1941 का भारतीय रेलवे अधिनियम भिक्षावृत्ति का निषेध करता है।

संशोधित किशोर न्याय कानून 2015 में बाल भिक्षावृत्ति का निषेध करता है।

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Tags: baggage

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