ट्विटर और सरकार की खींचातानी रुकने का नाम नहीं ले रही ।
ट्विटर और सरकार सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की आजादी का एक बहुत ही अच्छा प्लेटफार्म है लेकिन सरकार को खुद की आलोचना सहन करने की हिम्मत नहीं है । ट्विटर और सरकार मुख्यधारा की मीडिया में तो पत्रकारिता का अंश मात्र भी नहीं है और सोशल मीडिया पर जो जनता के सवाल सरकार से पूछे जाते हैं जो देश की सच्चाई बताई जाती है उसका सामना वर्तमान के सत्ताधारी नहीं कर पाते हैं। ट्विटर और सरकार इसलिए सोशल मीडिया पर दिखाई गई सच्चाई चुभने लगती है।
ट्विटर और सरकार ने कार्टूनिस्ट मंजुल पत्रकार, रोहिणी सिंह और न्यूज़ मोहम्मद जुबेर सहित कई लोगों के ट्वीट को राष्ट्र हित के लिए खतरा बताया और ट्विटर को निर्देश दिए कि इन लोगों पर कार्यवाही करें लेकिन ट्विटर ने इन लोगों पर कार्रवाई ना करते हुए इन लोगों को सूचित किया और कानूनी सहायता लेने की सलाह दे डाली।
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ट्विटर और सरकार जुबेर में मोदी सरकार की नाकामी उजागर किया है और इसकी कार्टूनिस्ट और पत्रकार होने के नाते आलोचना की है इसलिए इन लोगों के ट्वीट को देश के लिए खतरा बता दिया गया है। ट्विटर और सरकार और ट्विटर से इन लोगों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। बात यह नहीं कि आलोचकों पर कार्यवाही क्यों कर रहे हैं वह तो प्रत्येक सरकार में ऐसे मंत्री होते हैं जो अपनी नाकामी को दबाने के लिए लोगों की आवाज को दबाते हैं। बात यह है कि यदि कोई भारत के कानून का उल्लंघन करता है तो कार्रवाई भारत सरकार को करना चाहिए ना कि ट्विटर को। ट्विटर और सरकार कानूनों के उल्लंघन में सरकार को स्वयं कार्रवाई करनी चाहिए ,किसी विदेशी कंपनी को नहीं। क्योंकि इससे नागरिकों के अधिकारों का हनन होगा और सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में किसी विदेशी कंपनी को दखल देने का मौका दे रही हैं।
सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि नए आईटी नियमों के अनुसार अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करने के बाद ट्विटर से अब भारत में कानूनी सुरक्षा हटा ली गई है इसका मतलब है कि कल को कोई गैरकानूनी सामग्री लेकर ट्विटर के खिलाफ कोई आरोप लगाता है तो उससे प्रकाशक के तौर पर व्यवहार किया जाएगा किसी इंटरमीडियरी के तौर पर नहीं क्योंकि ट्विटर अब इंटरमीडियरी का दर्जा खो चुका है इसके कारण अब गैर कानूनी सामग्री के लिए ट्विटर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
पिछले कई महीनों से सरकार और ट्विटर के बीच चल रही खींचातानी बढ़ती जा रही है। इसमें सरकार अपना कड़ा रुख अपना रही है। 1 फरवरी 2021 को भारत सरकार के निर्देश पर ट्विटर ने ढाई सौ ट्विटर अकाउंट पर रोक लगा दी यह किसान आंदोलन का दौर था और आरोप था कि किसान आंदोलन पर कई टि्वटर हैंडल गलत खबर फैला रहे हैं।
को विवाद बढ़ने पर ट्विटर ने ए टि्वटर हैंडल फिर एक्टिव कर दिए जिससे सरकार नाराज हो गई 25 फरवरी को सरकार सोशल मीडिया ओटीटी डिजिटल प्लेटफॉर्म के नियम ले आई सरकार का कहना था कि यह नियम गलत न्यूज़ फैलाने वालों के लिए एक दीवार का काम करेंगे लेकिन टि्वटर और मुखर बोलने वाले आलोचकों का कहना है कि ट्विटर के इन नियमों द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर बेड़ियां कसी जा सकते हैं। ट्विटर और सरकार यह नियम अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरा है। ट्विटर और सरकार 25 फरवरी से फिर से सरकार के अनुरोध पर ट्वीट प्रतिबंधित कर दिए गए जिसमें कोरोना की स्थिति से निपटने में नाकाम सरकार की आलोचना की गई थी ।
18 मई 2021 को कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर बनाई टूलकिट को संबित पात्रा और कई भाजपा नेताओं द्वारा ट्वीट किया गया इसमें इन ट्वीट्स को ट्विटर ने संदिग्ध मानते हुए मेन प्लेटेड कैटेगरी में डाल दिया ट्विटर के इस निर्णय से भाजपा नेता गुस्से में भर गए इसके पश्चात 24 मई 2021 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ट्विटर के दफ्तर नोटिस थमा ने पहुंच गई। 27 मई 2021 को ट्विटर के एक प्रवक्ता ने भारत सरकार के इस कृत्य पर बीबीसी न्यूज़ को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “फिलहाल ताजा घटनाक्रम के चलते भारत में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की आजादी पर मंडरा रहे खतरे को लेकर फिक्र मंद है”।
5 जून 2021 को भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी ने ट्विटर को अंतिम चेतावनी जारी की और कहां गया कि जल्द से जल्द जरूरी प्रक्रिया को पूरा करें नहीं तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाए। उसी दिन ट्विटर ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत तथा अन्य बड़े भाजपा से संबंध रखने वालों के ट्विटर हैंडल से ब्लूटूथ हटा दिया। लेकिन घमासान से पहले ही ट्विटर ने ब्लूटिक वापस कर दिया लेकिन अब ट्विटर सरकार के नियम मानने के लिए तैयार हो गया लेकिन सरकार से कोरोना की स्थिति सामान्य होने तक का समय मांगा है लेकिन अभी भी सरकार और ट्विटर में खींचातानी बरकरार है।