आखिर कब खत्म होगा देश से "जातिवाद"
( आखिर कब खत्म होगा देश से ) बुंदेलखंड के महोबा जिला में रहने वाले अलखराम को शादी में घोड़ी पर बैठने के लिए थाने जाकर सुरक्षा की मांग करनी पड़ी। क्योंकि गांव की ऊंची जाति के दबंग लोग दलित वर्ग को घोड़ी पर नहीं चढ़ने देते हैं दलित वर्ग के दूल्हा पैदल ही सारी बरात शादियां निपटा लेते हैं। और सालों से यही परंपरा उस गांव में जीवित है। जिससे ऊंची जाति के दबंग लोगों ने हमला करने की धमकी दी है।
( आखिर कब खत्म होगा देश से ) लेकिन महोबा के अलखराम ने भी निश्चय कर लिया है कि वह अपने शादी में घोड़ी पर जरूर बैठेगा । अलखराम ने कहा कि हम उस देश में रहते हैं जहां डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संविधान के अनुसार देश चलता है और संविधान में समानता के अधिकार का प्रावधान है। अलख राम के पिता गयादीन ने बताया कि वह भी अपने शादी बारात में पैदल ही गए थे। अलख राम की मां सुलेखा देवी ने कहा कि जैसा मेरा बेटा चाहता है मैं उसके साथ हूं।
( आखिर कब खत्म होगा देश से ) आजादी के 74 साल बाद भी छुआछूत ,जातिवाद जैसी कुरीतियां गांव देहात में जीवित है। गांव के दबंग लोगों को अलख राम की यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई और बरात पर हमला करने की धमकी दे डाली।
( आखिर कब खत्म होगा देश से ) अंग्रेजों के राज में महिलाएं अपनी शरीर के ऊपरी हिस्से को ढक कर चलती थी तो सरकार द्वारा टैक्स लगा दिया जाता था। यदि दलित लोग ठाकुरों के घर के सामने से निकलते थे तो अपने पैरों की चप्पल हाथों में उठाकर निकलना पड़ता था । दलित लोग सार्वजनिक कुएं पर पानी नहीं पी सकते थे मंदिर में प्रवेश निषेध था लेकिन आजादी के 74 साल बाद भी ये कुरीतियां समाज में व्याप्त है ए बड़े ही दुख की और परेशान करने वाली बात है।